नई दिल्ली: एआईएमआईएम सुप्रीमो असदुद्दीन ओवैसी ने महिलाओं के लिए शादी की न्यूनतम उम्र 18 से बढ़ाकर 21 करने के केंद्र सरकार के फैसले को 'हास्यास्पद' और 'विशिष्ट पितृत्ववाद' बताया है। ओवैसी ने कहा कि पुरुषों और महिलाओं दोनों को कानूनी तौर पर 18 साल की उम्र में शादी करने की अनुमति दी जानी चाहिए क्योंकि अन्य सभी उद्देश्यों के लिए कानून द्वारा उन्हें वयस्क माना जाता है। मोदी सरकार पर 'मोहल्ला अंकल' की तरह काम करने का आरोप लगाते हुए ओवैसी ने कहा कि यह सरकार तय कर रही है कि भारतीय क्या खाते हैं, किससे और कब शादी करते हैं और किस भगवान की पूजा करते हैं।
एआईएमआईएम प्रमुख ने कहा, 'मोदी सरकार ने महिलाओं के लिए शादी की उम्र बढ़ाकर 21 करने का फैसला किया है। यह विशिष्ट पितृसत्ता है जिसकी हम सरकार से उम्मीद करते आए हैं। 18 वर्षीय पुरुष और महिलाएं अनुबंध पर हस्ताक्षर कर सकते हैं, व्यवसाय शुरू कर सकते हैं, प्रधानमंत्री और सांसद और विधायक चुन सकते हैं और चुनाव में वोट सकते हैं। लेकिन शादी नहीं कर सकते हैं? वे यौन संबंधों और लिव-इन पार्टनरशिप के लिए सहमति दे सकते हैं लेकिन अपना जीवन साथी नहीं चुन सकते हैं? बहुत हास्यास्पद।'
यह भी पढ़ें: AIMIM नेता के बोल- जब तक बच्चे न होंगे तब तक कैसे हम राज करेंगे, कैसे ओवैसी साहब प्रधानमंत्री बनेंगे?
ओवैसी ने कहा, 'एक कानून के बावजूद बाल विवाह बड़े पैमाने पर होते हैं। भारत में हर चौथी महिला की शादी 18 साल की उम्र से पहले हुई थी, लेकिन बाल विवाह के केवल 785 आपराधिक मामले दर्ज किए गए थे। यदि बाल विवाह पहले से कम हुए हैं, तो यह शिक्षा और आर्थिक प्रगति के कारण है, न कि आपराधिक कानून के कारण।' ओवैसी ने कहा कि शादी की कानूनी उम्र से अधिक, यह युवाओं के लिए बेहतर शिक्षा और बेहतर आर्थिक संभावनाएं है, जो शादी पर प्रभाव डालती है। ओवैसी ने कहा, अगर मोदी ईमानदार होती तो उन्होंने महिलाओं के लिए आर्थिक अवसरों को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया होता। फिर भी भारत एकमात्र ऐसा देश है जहां कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी घट रही है। यह 2005 के 26 प्रतिशत से 2020 में गिरकर 16% हो गई है।'
उन्होंने आगे कहा कि स्वायत्त निर्णय लेने को सुनिश्चित करने के लिए उनके शैक्षिक परिणामों में सुधार करना आवश्यक है। ओवैसी ने कहा, 'लड़कियों के लिए शिक्षा में सुधार के लिए सरकार ने क्या किया है? बेटी बचाओ बेटी पढाओ बजट का 79 प्रतिशत बजट यानि 446.72 करोड़ रुपये विज्ञापनों पर खर्च किया गया था। आप चाहते हैं कि हम विश्वास करें कि इस सरकार के इरादे ईमानदार हैं?" इससे पहले बुधवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने महिलाओं के लिए शादी की न्यूनतम उम्र 18 से बढ़ाकर 21 करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। सरकार चल रहे शीतकालीन सत्र के दौरान संसद में एक विधेयक का प्रस्ताव रख सकती है।
यह भी पढ़ें: भारत के मुसलमानों से पूछना चाहता हूं, धर्मनिरपेक्षता से क्या मिला? इसमें न फंसें: असदुद्दीन ओवैसी
Times Now Navbharat पर पढ़ें India News in Hindi, साथ ही ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज अपडेट के लिए हमें गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें ।