गुवाहाटी : मुस्लिमों को जनसंख्या पर नियंत्रण लगाने की सलाह देकर असम के मुख्यमंत्री विवादों में घिर गए हैं। सरमा ने असम में 'बाहर से आए मुस्लिमों' को जनसंख्या पर रोक के लिए 'एक परिवार नियोजन कार्यक्रम' अपनाने की सलाह दी है। सरमा के इस सलाह पर एआईएमआईएम के नेता असदुद्दीन ओवैसी ने असम के सीएम पर निशाना साधा है। ओवैसी ने कहा है कि 'यह हिन्दुत्व बोल रहा है, जो गरीब और शोषित लोगों पर आरोप लगा रहा है।' सरमा का कहना है कि वह भूमि पर अतिक्रमण एवं गरीबी खत्म करने के लिए मुस्लिम संगठनों के साथ काम करने के लिए तैयार हैं। जनसंख्या पर नियंत्रण पाने के लिए मुस्लिम संगठनों को अपनी महिलाओं को शिक्षित करने की जरूरत है।
'आबादी में विस्फोट है गरीबी की मुख्य वजह'
मुख्यमंत्री ने कहा, 'मुस्लिमों में जनसंख्या विस्फोट को नियंत्रित करने के लिए मैं अल्पसंख्यक मुस्लिम समुदाय के साथ काम करना चाहता हूं। गरीबी और जनसंख्या विस्फोट जैसी सामाजिक अभिशाप की मुख्य वजह आबादी में विस्फोट है। अप्रवासी मुस्लिम परिवार नियोजन के मर्यादित नियमों को अगर अपनाते हैं तो हम कई सामाजिक समस्याओं का हल निकाल सकते हैं...यह मेरी उनसे अपील है।'
जंगल की जमीन बसने के लिए नहीं दे सकते-सरमा
सरमा ने आगे कहा, 'जनसंख्या बढ़ने पर रहने के लिए जगह की समस्या आएगी। इससे संघर्ष में तेजी आएगी। एक चुनी हुई सरकार को लोगों को जंगल एवं मंदिर की जमीन पर बसाने में दिक्कत हो सकती है।' असम के मुख्यमंत्री की यह सलाह ओवैसी को पसंद नहीं आई। उन्होंने इसका जवाब अपने ट्वीट से दिया।
ओवैसी ने जनसंख्या पर राष्ट्रीय आंकड़ा दिया
ओवैसी ने कहा, 'असम के मुख्यमंत्री ने जनसंख्या नियंत्रण पर फिर से बात करनी शुरू की है। जनसंख्या बढ़ाने के लिए गरीब एवं हाशिए के लोगों को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। यह हिंदुत्व बोल रहा है।' आआईएमआईएम प्रमुख ने जनसंख्या से जुड़े कुछ तथ्य पेश किए। उन्होंने कहा, 'असम पहले ही टोटल फर्टिलिटी रेट 2.1 पर पहुंच चुका है जबकि देश का टीएफआर 2.2 है। जाहिर है कि असम में जनसंख्या का विस्फोट नहीं हुआ है।'
असम में मुस्लिमों की आबादी 34.22 प्रतिशत
बरपेटा से कांग्रेस सांसद अब्दुल खालिक ने बुधवार को ट्वीट में कहा कि उन्होंने गौहाटी उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश सुधांशु धूलिया से अतिक्रमण हटाने के मुद्दे पर स्वत: संज्ञान लेने का आग्रह किया है और दावा किया कि यह अदालत के उस आदेश का उल्लंघन है जिसमें कहा गया था कि महामारी के दौरान कोई बेदखली या तोड़फोड़ जैसी कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए। वर्ष 2011 में की गई जनगणना के अनुसार असम की 3.12 करोड़ आबादी में 34.22 प्रतिशत मुसलमान हैं तथा कई जिलों में वे बहुसंख्यक हैं। वहीं, ईसाई 3.74 प्रतिशत और सिख, बौद्ध तथा जैन समुदायों की आबादी एक प्रतिशत से भी कम है।
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