Oxfam Report:कमाई में भी लिंग,धर्म,जाति का कनेक्शन,हर महीने 5000-7000 रुपये कम कमा रहे हैं लोग

Oxfam India Discriminations Report 2022: ऑक्सफैम की रिपोर्ट महिलाओं के साथ लैगिंक भेदभाव का बड़ा खुलासा करती है। उसके अनुसार महिलाओं में  98 फीसदी गैरबराबरी की वजह लैंगिक भेदभाव है।

Oxfam India Discrimination Report 2022
ऑक्सफैम इंडिया रिपोर्ट में खुलासा  |  तस्वीर साभार: BCCL
मुख्य बातें
  • सेल्फ इम्पलॉयड पुरुष सेल्फ इम्पलॉयड महिला की तुलना में 2.5 गुना ज्यादा कमाता है।
  • SC/ST वर्ग की सामान्य वर्ग की तुलना में हर महीने 5000 रुपये कम कमाई होती है।
  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी श्रम बाजार में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने और फ्लेक्सिबल टाइमिंग की वकालत कर चुके हैं।

Oxfam India Discrimination Report 2022: इक्कीसवीं सदी में भारत में नौकरियों में लिंग, जाति, धर्म के आधार पर कमाई को लेकर भेदभाव हो रहा है। इस बात का खुलासा  Oxfam की ताजा रिपोर्ट, India Discrimination Report 2022  में हुआ है। रिपोर्ट में कई ऐसे चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। जैसे कि महिलाएं समाज शिक्षा और अनुभव के बावजूद, पुरूषों की तुलना में कम कमाई करती है। इसी तरह अगर कोई व्यक्ति अनुसूचित जाति, जनजाति से आता है तो वह सामान्य वर्ग की तुलना में उसकी हर महीने 5000 रुपये कम कमाई होती है। इसी तरह का भेदभाव मुस्लिम और गैर मुस्लिम समुदाय में भी देखा गया है। रिपोर्ट के अनुसार गैर मुस्लिम व्यक्ति , मुस्लिम व्यक्ति की तुलना में हर महीने औसतन 7000 रुपये ज्यादा कमाई करता है। 

बिजनेस में भी कमाई का अंतर

ऑक्सफैम की रिपोर्ट महिलाओं के साथ लैगिंक भेदभाव का बड़ा खुलासा करती है। उसके अनुसार महिलाओं में  98 फीसदी गैरबराबरी की वजह लैंगिक भेदभाव है। बचे 2 प्रतिशत में  शिक्षा और अनुभव आदि के कारण भेदभाव हो सकता है। वहीं अगर शहर और ग्रामीण इलाकों की तुलना की जाय तो ग्रामीण इलाकों में यह भेदभाव 100 फीसदी। जबकि शहरी इलाकों में भी कोई बड़ा अंतर नहीं दिखता है, वहां पर भी भेदभाव का स्तर 98 फीसदी है।

इसी तरह का भेदभाव बिजनेस में भी दिखता है। अगर कोई पुरूष सेल्फ इम्पलॉयड है तो वह सेल्फ इम्पलॉयड महिला की तुलना में 2.5 गुना ज्यादा कमाता है। वहीं अगर ग्रामीण इलाकों में देखा जाय तो सेल्फ इम्पलॉयड महिलाओं की तुलना में सेल्फ इम्पलॉयड पुरूष दोगुना कमाई करता है।

जाति और धर्म के आधार पर भी कमाई में भेदभाव

रिपोर्ट के अनुसार नौकरी, जीवनयापन और कृषि कर्ज के आधार पर देखा जाय तो साल 2019-20 में 15 साल और उससे ज्यादा की उम्र के मुस्लिम लोगों की वेतन वाली नौकरी में 15.6 फीसदी हिस्सेदारी है। जबकि 23.3 फीसदी गैर मुस्लिम लोगों की हिस्सेदारी है।  इसी तरह गैर मुस्लिम व्यक्ति , मुस्लिम व्यक्ति की तुलना में हर महीने औसतन 7000 रुपये ज्यादा कमाई करता है। 

इसी तरह कमाई का भेदभादव अनुसूचित जाति, जनजाति में भी दिखता है। रिपोर्ट के अनुसार अगर कोई व्यक्ति अनुसूचित जाति, जनजाति से आता है तो वह सामान्य वर्ग की तुलना में उसकी हर महीने 5000 रुपये कम कमाई होती है। ऑक्सफैम इंडिया ने यह रिपोर्ट 2014-2020 की अवधि में किए गए विश्लेषण के आधार पर तैयार की है।

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प्रधानमंत्री  कर रहे हैं महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने और फ्लेक्सिबल टाइमिंग की वकालत 

प्रधानमंत्री ने इस बार लाल किले से साल 2047 तक भारत को विकसित देश बनाने का लक्ष्य तय करने की बात कही है। इसके तहत उन्होंने महिलाओं की भागीदारी पर खास जोर दिया है। इसी के तहत उन्होंने बीते 26 अगस्त को एक कार्यक्रम में कहा था कि महिलाओं की श्रम बाजार में भागीदारी बढ़ाने के लिए वर्क फ्रॉम और फ्लेक्सिबल टाइमिंग पर जोर देने की बात कही थीं। श्रम बाजार में महिलाओं की भागीदारी की बात की जाय को 2021 में भारतीय श्रम बाजार में महिलाओं की हिस्सेदारी सिर्फ 25 प्रतिशत थी। जो कि ब्राजील, रूस, चीन और दक्षिण अफ्रीका जैसी उभरती अर्थव्यवस्थाओं से कम है। 
 

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