मानवाधिकार उल्लंघन : कश्मीर नहीं पहले अपने गिरेबां में झांके पाकिस्तान

देश
आलोक राव
Updated Sep 11, 2019 | 13:59 IST

शाह महमू कुरैशी मानवाघिकारों के यदि इतने ही पैरोकार हैं और इसकी इतनी चिंता है तो उन्हें सबसे पहले अंतरराष्ट्रीय मीडिया एवं पर्यवेक्षकों को बलूचिस्तान में भेजना चाहिए। पाकिस्तान में अल्पसंख्यक सुरक्षित नहीं हैं।

Pakistan first acknowledge human rights violations in his own country not in Kashmir
पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों का है बुरा हाल। (फाइल फोटो)  |  तस्वीर साभार: AP
मुख्य बातें
  • संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) की बैठक में पाकिस्तान ने उठाया कश्मीर का मसला
  • बलूचिस्तान, पीओके, गिलगिट-बाल्टिस्तान में बड़े पैमाने पर मानवाधिकारों का उल्लंघन करती है पाक सेना
  • पाक को पहले अपने यहां मानवाधिकारों के उल्लंघन पर बात करनी चाहिए, अल्पसंख्यकों का है बुरा हाल

पाकिस्तान के लिए कश्मीर पिछले 70 -72 सालों से एक ऐसा 'जुमला' रहा है जिसे उछालकर वह अंतरराष्ट्रीय बिरादरी से खैरात पाता रहा है, लेकिन जम्मू-कश्मीर पर भारत सरकार के फैसले ने उसे दो राहे पर लाकर खड़ा दिया है। उसे अब समझ में नहीं आ रहा है कि वह क्या करे। कश्मीर मसले को ज्वलंत बनाए रखने और अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान खींचने के लिए वह अपनी जी-जान लगाकर हाथ-पांव मार रहा है लेकिन उसे हर जगह से निराशा हाथ लगी है। यहां तक कि भारत और पाकिस्तान के रिश्ते में तनाव दिखाने के लिए उसके हुक्मरान युद्धोन्माद फैलाने और जंग की धमकी दे चुके हैं लेकिन उसके प्रलाप का दुनिया पर कोई असर नहीं हुआ है।

संयुक्त राष्ट्र में मुंह की खाने के बाद पाकिस्तान ने कश्मीर में मानवाधिकार उल्लंघन का आरोप लगाते हुए इस मसले को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) में उठाया। उसने भारत पर गंभीर आरोप लगाए। पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने मीडिया से कहा कि कश्मीर में स्थितियां यदि सामान्य हैं तो भारत को वहां अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षकों, मीडिया और एनजीओ को वहां जाने की अनुमति दी जानी चाहिए। पाकिस्तान के इन गंभीर आरोपों का भारत ने करारा जवाब दिया। यूएनएचआरसी में भारत का पक्ष रखते हुए विदेश मंत्रालय में सचिव (पूर्व) विजय ठाकुर सिंह ने पाकिस्तान के झूठ एवं दावों की पोल खोल दी। 

सिंह ने कहा कि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को समाप्त करने का फैसला भारतीय संसद ने किया है। अनुच्छेद 370 भारत का आंतरिक मसला है और किसी भी देश भारत के अंदरूनी मामलों में दखल नहीं दे सकता। सिंह ने कहा कि कश्मीर में मानवाधिकार उल्लंघन का आरोप ऐसा देश लगा रहा है जो दुनिया में आतंकवाद का केंद्र बिंदु रहा है और इस देश में आतंकवादी संगठनों के सरगना शरण पाते रहे हैं। सिंह ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने की वजह का भी जिक्र किया। अंतरराष्ट्रीय फोरम पर पाकिस्तान एक बार फिर शर्मसार हुआ और उसके विदेश मंत्री कुरैशी ने मीडिया से बात करते हुए यह मान भी लिया कि जम्मू-कश्मीर भारत का राज्य है।

Balochistan

मानवाधिकारों का घोर और सामूहिक उल्लंघन करने वाला पाकिस्तान यह भूल जाता है कि उसके यहां उसकी फौज बलूचिस्तान, पीओके और गिलगिट-बाल्टिस्तान में किस तरह से जुल्म ढाती है। बलूचिस्तान में आजादी की मांग करने वाले नागरिकों पर उसकी सेना तरह-तरह के अत्याचार और उन पर जुल्म करती आई है। यहां उसने सामूहिक नरसंहार की घटनाएं की हैं और बड़ी संख्या में लोगों को अगवा किया है। यहां के बलूच नेता पाकिस्तानी फौज की आतंकित करने वाली कार्रवाई के डर से विदेशों में शरण लिए हुए हैं यहां तक कि कुछ ने भारत से राजनीतिक शरण देने की मांग की है। 

बलूचिस्तान के अलावा गुलाम कश्मीर (पीओके) और गिलगिट-बाल्टिस्तान में आए दिन पाकिस्तान की सरकार और फौज के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन देखने को मिलते हैं। लोग यहां भी अपने लिए आजादी की मांग करते हैं लेकिन पाकिस्तान को इन जगहों पर मानवाधिकार का उल्लंघन नहीं दिखाई देता। कुरैशी मानवाघिकारों के यदि इतने ही पैरोकार हैं और इसकी इतनी चिंता है तो उन्हें सबसे पहले अंतरराष्ट्रीय मीडिया एवं पर्यवेक्षकों को बलूचिस्तान में भेजना चाहिए। पाकिस्तान में अल्पसंख्यक सुरक्षित नहीं हैं। यह देश अपनी आजादी के बाद से अल्पसंख्यकों को दोयम दर्जे का नागरिक बनाकर रखा है। हिंदू, सिख, क्रिश्चियन एवं मुहाजिरों को उनके अधिकारों से वंचित रखा गया है। हिंदू लड़कियों का जबरन धर्म परिवर्तन उनसे शादी करने के अनेक मामले आए हैं। आजादी के समय कभी हिंदुओं की आबादी वहां 15 प्रतिशत के करीब थी वह घटकर एक प्रतिशत पर आ गई है। पाकिस्तान को पहले अपने यहां मानवाधिकारों के उल्लंघन पर जवाब देना चाहिए फिर भारत की तरफ अंगुली उठानी चाहिए। 

दरअसल, भारत सरकार ने अपने एक फैसले से पाकिस्तान के पैरों तले जमीन खींच ली। उसने कश्मीर को भारत से अलग करने के लिए दशकों से आतंकवाद, अलगाववाद और हिंसा का जो कुचक्र और नेक्सस तैयार किया था, भारत सरकार ने एक झटके में इसे तहस-नहश कर दिया है। पाकिस्तान को समझ में नहीं आ रहा है कि वह अब क्या करे। उसे उम्मीद थी कि कश्मीर में अपने आतंकवादियों को भेजकर एवं कश्मीरियों को भड़काकर वह हिंसा एवं उपद्रव का तांडव कर सकता है और इस पर काबू पाने के लिए भारतीय सुरक्षाबल कार्रवाई करेंगे तो वह दुनिया को बताएगा कि भारत मानवाधिकारों का उल्लंघन कर रहा है लेकिन उसके नापाक मंसूबे धरे के धरे रह गए हैं। पांच अगस्त के बाद भारत सरकार ने कश्मीर के हालात को जिस तरह से संभाला है और उसके प्रयासों से वहां की स्थितियां धीरे-धीरे सामान्य होने लगी हैं, इससे पाकिस्तान तिलमिला गया है। उसे कश्मीरियों से बगावत की उम्मीद थी लेकिन वहां के नागरिक भारतीय लोकतंत्र में आस्था जता रहे हैं। 

(डिस्क्लेमर: इस प्रस्तुत लेख में व्यक्त विचार लेखक के निजी हैं और टाइम्स नेटवर्क इन विचारों से इत्तेफाक नहीं रखता है।)

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