नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को कथित पेगासस जासूसी कांड की जांच की मांग वाली अर्जियों पर सुनवाई हुई। मामले की सुनवाई के बाद शीर्ष अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। वहीं, केंद्र सरकार ने कोर्ट को बताया कि वह जांच की मांग वाली अर्जियों पर विस्तृत हलफनामा दायर नहीं करेगी। केंद्र सरकार ने इसके लिए राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला दिया है। इससे पहले सरकार हलफनामा दायर करने पर फैसला करने के लिए कोर्ट से दोबार समय मांग चुकी है। सुप्रीम कोर्ट अगले दो से तीन दिनों में इस पर अपना फैसला सुना सकता है।
केंद्र सरकार की ओर से कोर्ट में पेश महाधिवक्ता तुषार मेहता ने कहा कि 'किसी सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल हुआ अथवा नहीं, यह आम लोगों के जानने की चीज नहीं है।' मेहता ने कहा कि स्वतंत्र क्षेत्र के विशेषज्ञों की एक समिति इस मामले की जांच कर सकती है और समिति की रिपोर्ट शीर्ष अदालत में दायर की जा सकती है। गत सात सितंबर को प्रधान न्यायाधीश एनवी रमण की अगुवाई वाली तीन सदस्यीय पीठ ने केंद्र सरकार को हलफनामे पर फैसला करने के लिए समय दिया था।
इससे पहले सरकार ने मामले में एक संक्षिप्त हलफनामा दायर किया था। सरकार ने कोर्ट से कहा था कि पेगासस जासूसी का आरोप आधे-अधूरे और असत्यापित रिपोर्टों के आधार पर है। गत 17 अगस्त को कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया। अदालत ने कहा कि वह सरकार से नहीं चाहती कि वह किसी ऐसी बात का खुलासा करे जिससे कि राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता करना पड़े।
कोर्ट में दायर अर्जियां सरकारी एजेंसियों द्वारा प्रतिष्ठित नागरिकों, नेताओं और पत्रकारों की इजराइल के स्पाइवेयर पेगासस के जरिए कथित जासूसी की खबरों से संबंधित हैं। एक अंतरराष्ट्रीय मीडिया संगठन ने कहा था कि पेगासस स्पाइवेयर का इस्तेमाल कर 300 से अधिक भारतीय मोबाइल फोन नंबरों को निगरानी के लिए संभावित लक्ष्यों की सूची में रखा गया था। इस खुलासे के बाद विपक्ष ने सरकार पर हमला तेज किया। संसद के मानसून सत्र में इस कथित जासूसी मामले को लेकर हंगामा किया।
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