नई दिल्ली: छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 1 मई की सुबह ही प्रदेश और देश-विदेश में बसे सभी छत्तीसगढ़ी लोगों से अपने आहार और संस्कृति के गौरव की अनुभूति के लिए बोरे बासी खाकर श्रम को सम्मान देने की अपील की थी। इस अपील का असर ऐसा हुआ कि अब तक अबूझमाड़ के घने जंगलों के लिए देश भर में प्रसिद्ध छत्तीसगढ़ राज्य के लोगों द्वारा प्याज और नमक के साथ चिलचिलाती गर्मियों में खाया जाने वाला ‘बोरे और बासी’ लोगों की जुबां पर चढ़ गया।
खुद मुख्यमंत्री बघेल ने ट्विटर पर बासी खाते हुए अपनी फोटो साझा की। इसके बाद पूरे राज्य भर के बड़े से बड़े अधिकारियों के साथ ही गांव में रहने वाले लोगों और बस्तर के इलाकों में तैनात सशस्त्र बलों के जवानों ने अपने अपने अंदाज में बोरे और बासी की तस्वीर सोशल मीडिया पर डालीं।
राजधानी दिल्ली में भी आयोजित हुआ बोरे बासी फेस्टिवल
देश के अन्य लोगों को भी बोरे बासी व्यंजन से रूबरू कराने के लिए राजधानी दिल्ली स्थित छत्तीसगढ़ भवन एक फेस्टिवल का आयोजन किया गया। यहां दिन भर में सैकड़ों लोगों ने दहकती हुई गर्मी के अचूक उपाय बोरे और बासी व्यंजन का लुत्फ उठाया. साथ ही ये जानकारी हासिल कि कैसे बासी चावल और सिर्फ प्याज, नमक और चटनी के साथ गर्मी और लू को मात दी जा सकती है.
क्या है बोरे बासी और इसके फायदे
बोरे और बासी बनाने के लिए पका हुआ चावल या भात में सादा पानी डाला जाता है. जहां बोरे का मतलब तुरंत पकाए हुए भात को पानी में डूबाकर खाना है। वहीं बासी एक पूरी रात या दिनभर भात को पानी में डूबाकर रखा जाना होता है। बासी के साथ आमतौर पर प्याज खाने की परम्परा सी रही है। वहीं बोरे या बासी के साथ आम के अचार, भाजी बोरे और बासी के स्वाद को बढ़ा देते हैं। इसको खाने से हाई बीपी, गर्मी या सनस्ट्रोक, नींद की कमी और कब्ज की समस्या से छुटकारा मिलता है।
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