PM उम्मीदवार लिस्ट:अरविंद-ममता-नीतीश किसके भरोसे, मोदी को हराने का ला पाएंगे फॉर्मूला !

देश
प्रशांत श्रीवास्तव
Updated Aug 23, 2022 | 20:03 IST

Kejriwal, Mamta, Nitish PM Candidates: विपक्ष की ओर से प्रधानमंत्री का उम्मीदवार कौन होगा इसको लेकर इस समय अरविंद केजरीवाल , नीतीश कुमार से लेकर ममता बनर्जी के नाम उछल रहे हैं।

Nitish-Mamata-Arvind-PM Candiate list
पीएम उम्मीदवार की लंबी हो रही है लिस्ट 
मुख्य बातें
  • नीतीश कुमार का सबसे मजबूत पक्ष, उनका हिंदी भाषी क्षेत्र से होना है।
  • लेकिन खुद नीतीश कुमार के पास बिहार के बाहर कोई मजबूत जनाधार नही है।
  • शिक्षक भर्ती घोटाले में पार्थ चटर्जी का नाम आने के बाद से ममता बनर्जी बैकफुट पर हैं। 

Kejriwal, Mamta, Nitish PM Candidates: विपक्ष की ओर से प्रधानमंत्री का उम्मीदवार कौन होगा, इसको लेकर इस समय तीन-चार नेताओं के नाम की चर्चा है। सबसे ज्यादा अरविंद केजरीवाल का नाम उनकी पार्टी की तरफ से इन दिनों उछाला जा रहा है। इसके बाद नीतीश कुमार और ममता बनर्जी के दलों के तरफ से भी उनके नाम  पर आम सहमति बनाने की बात कही गई है। साफ है  कि इन तीनों नेताओं के समर्थकों का मानना है कि उनके नेता, 2024 के लोक सभा चुनाव में प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ सबसे बेहतरीन चेहरा होंगे। ऐसे में आइए जानते हैं कि इन तीनों नेताओं के पास ऐसी क्या खूबियां है, जिससे वह मोदी को चुनौती दे सकते हैं। साथ ही उनके सामने कौन सी चुनौतियां है, जिसे पार कर वह पीएम मोदी को सीधी टक्कर दे पाएंगे..

मोदी ने कैसे जीता जनता का भरोसा

अगर 2014 की बात की जाय तो उस समय नरेंद्र मोदी गुजरात के तीन बार मुख्यमंत्री रह चुके थे और उन्होंने जनता के बीच एक रिफॉर्मिस्ट और त्वरित फैसले लेने वाले प्रशासक की छवि बना रखी थी। इसके अलावा उन्होंने गुजरात मॉडल को पेश कर, यह दावा किया था कि वह जनता के अच्छे दिन लाएंगे और भ्रष्टाचार से भी मुक्ति दिलाएंगे। जनता ने उनके इस मॉडल पर न केवल 2014 में भरोसा जताया, बल्कि 2019 में भी उनके काम के आधार पर उन्हें दोबारा सत्ता सौंपी। भाजपा की जीत में नरेंद्र मोदी का करिश्मा से लेकर पार्टी का मजबूत संगठन और जनता से संवाद के नए-नए तरीकों का भी अहम योगदान रहा है।

नीतीश कुमार

नीतीश कुमार का सबसे मजबूत पक्ष, उनका हिंदी भाषी क्षेत्र से होना है। जिसके जरिए वह भाजपा के सबसे मजबूत गढ़ों में चुनौती दे सकते हैं। इसके अलावा उनकी सुशासन बाबू की छवि और 17 साल से बिहार के मुख्यमंत्री के रुप में प्रशासन का अनुभव है। इसके अलावा अति पिछड़े वर्ग, महिला और महादलित वर्ग के वोट बैंक में पहुंच है। उनके पास राजद का भी साथ है। क्योंकि अगर नीतीश तेजस्वी को बिहार की गद्दी सौंपते हैं तो नीतीश का समर्थन करने में तेजस्वी को कोई दिक्कत नहीं होगी।

इन मजबूत पक्ष के साथ नीतीश कुमार की पार्टी और खुद नीतीश कुमार के पास बिहार के बाहर कोई मजबूत जनाधार नही है। साथ ही वह 17 सालों से सत्ता में रहने के बावजूद कोई अलग विकास का मॉडल नहीं पेश कर पाए हैं। इसके अलावा उनके पास भाजपा जैसा मजबूत संगठन नहीं है। 

ममता बनर्जी

ममता बनर्जी की छवि एक जुझारू नेता की है। भाजपा के विजय अभियान को उन्होंने बंगाल के विधान सभा चुनाव में रोक दिया था। और उसके बाद से ही वह अपने को विपक्ष का चेहरा घोषित करने की कोशिश में हैं। इसके लिए वह टीएमसी को कांग्रेस के विकल्प के रूप में पेश कर रही है। लेकिन शिक्षक भर्ती घोटाले में पार्थ चटर्जी का नाम आने के बाद से वह बैकफुट पर हैं। 

उनकी सबसे बड़ी मुश्किल बंगाल के बाहर, उनका जनाधार नहीं होना है। हाल ही में गोवा चुनाव में पार्टी का प्रदर्शन उनके लिए बड़ा झटका था। साथ ही हिंदी भाषी क्षेत्र से नहीं होना भी उनके लिए चुनौती है। इसके अलावा कांग्रेस का साथ मिलना भी उनके लिए काफी मुश्किल है। वहीं 10 साल से सत्ता में रहने के बावजूद बंगाल की आर्थिक स्थिति में उल्लेखनीय सुधार न कर पाना उनके लिए चुनौती खड़ा करता है।

अरविंद केजरीवाल

अरविंद केजरीवाल  तीन बार से दिल्ली के मुख्यमंत्री हैं और अब आम आदमी पार्टी की पंजाब में भी सरकार है। और इस साल होने वाले गुजरात और हिमाचल प्रदेश चुनाव में मजबूत दावेदारी पेश करने की तैयारी में हैं। जाहिर है अरविंद केजरीवाल 2014 की तुलना में कहीं मजबूत स्थिति में हैं। और र चाहे रेवड़ी कल्चर की बात हो या फिर भारत को विकसित बनाने की बात, वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हर दावे पर काउंटर कर रहे हैं। इसके अलावा मुफ्त शिक्षा, मुफ्त स्वास्थ्य और सब्सिडी आधारित बिजली देने के हिमायती है। और वह इसी मॉडल से मोदी के सबका साथ-सबका विकास मॉडल को चुनौती देने की कोशिश में हैं। लेकिन कमजोर संगठन और कम अनुभव उनके लिए बड़े चैलेंज हैं।

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कांग्रेस क्या करेगी

अगर विपक्ष के तरफ से कोई संयुक्त विपक्ष का उम्मीदवार खड़ा होता है, तो उसमें कांग्रेस की भूमिका को बिल्कुल नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। जहां तक कांग्रेस की बात है तो उसने अभी तक ऐसा कोई संकेत नहीं दिया है कि मोदी के खिलाफ पीएम उम्मीदवार की दावेदारी छोड़ने वाली है। खास तौर पर जब, वह कमजोर स्थिति में होने के बावजूद 200 से ज्यादा लोक सभा सीटों पर सीधे भाजपा के सामने चुनौती है। ऐसे में देखना होगा कि क्या कांग्रेस के बिना कोई तीसरा मोर्चा खड़ा होता है। या फिर कांग्रेस वॉक ओवर देती है, जिसकी संभावना नहीं के बराबर है।

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