नई दिल्ली। पीएम केयर्स फंड को एनडीआरएफ में हस्तांरित करने के मुद्दे पर याचिकाकर्ताओं को झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पीएम केयर्स फंड भी चैरिटी फंड ही है, ऐसे में रकम ट्रांसफर की आवश्यकता नहीं है। कोई भी संस्था या व्यक्ति एनडीआरएफ में फंड दे सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नेशनल डिजास्टर रिलीफ प्लान के लिए किस नए प्लान की जरूरत नहीं है और इस आधार पर अब इस केस को खत्म किया जाता है।
एनजीओ की अर्जी खारिज
सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन ने दावा किया था कि डीएम एक्ट के तहत कानूनी आदेश का उल्लंघन करते हुए पीएम केयर्स फंड बनाया गया था। दरअसल जब पहले से आपदा के लिये फंड है तो इस तरह के फंड की जरूरत नहीं थी। इसके साथ यह भी दलील दी गई कि डीएम एक्ट के मुताबिक आपदा प्रबंधन के लिए किसी भी व्यक्ति या संस्था द्वारा दिया गया कोई भी अनुदान अनिवार्य रूप से एनडीआरएफ को ट्रांसफर किया जाना चाहिए।
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दिया था हलफनामा
केंद्र सरकार ने 8 जुलाई को शीर्ष अदालत के समक्ष दायर अपने हलफनामे में इस तर्क को खारिज कर दिया था। सरकार ने कहा था कि पीएम केयर्स फंड राहत कार्य करने के लिए स्थापित एक कोष है और अतीत में इस तर्ज पर कई ऐसे कोष बनाए जा चुके हैं। केंद्र सरकार की तरफ से दलील दी गई कि सिर्फ राजनीतिक मकसद को हासिल करने के लिए पीएम केयर्स फंड पर अनर्गल और भ्रामक जानकारी दी जा रही है।
क्या है पीएम केयर्स फंड
कोविड-19 महामारी जैसी किसी भी तरह की आपातकालीन या संकट की स्थिति से निपटने के प्राथमिक उद्देश्य के साथ एक समर्पित राष्ट्रीय निधि की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए और उससे प्रभावित लोगों को राहत प्रदान करने के लिए ‘आपात स्थितियों में प्रधानमंत्री नागरिक सहायता और राहत कोष (पीएम केयर्स फंड)’ के नाम से एक सार्वजनिक धर्मार्थ ट्रस्ट बनाया गया है। प्रधानमंत्री, PM CARES कोष के पदेन अध्यक्ष और भारत सरकार के रक्षा मंत्री, गृह मंत्री और वित्त मंत्री, निधि के पदेन ट्रस्टी होते हैं।बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज के अध्यक्ष (प्रधानमंत्री) के पास 3 ट्रस्टीज को बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज में नामित करने की शक्ति होगी, जो अनुसंधान, स्वास्थ्य, विज्ञान, सामाजिक कार्य, कानून, लोक प्रशासन और परोपकार के क्षेत्र में प्रतिष्ठित व्यक्ति होंगे।
ट्रस्टी नियुक्त किया गया कोई भी व्यक्ति निशुल्क रूप से कार्य करेगा।
संकट की स्थिति, चाहे प्राकृतिक हो या कोई और, में प्रभावित लोगों की पीड़ा को कम करने और बुनियादी ढांचागत सुविधाओं एवं क्षमताओं को हुए भारी नुकसान में कमी/नियंत्रण करने, इत्यादि के लिए त्वरित और सामूहिक कदम उठाना जरूरी हो जाता है। अत: अवसंरचना और संस्थागत क्षमता के पुनर्निर्माण/विस्तार के साथ-साथ त्वरित आपातकालीन कदम उठाना और सामुदाय की प्रभावकारी सुदृढ़ता के लिए क्षमता निर्माण करना आवश्यक है।प्रभावित लोगों को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए, पैसे के भुगतान हेतु अनुदान प्रदान करने या ऐसे अन्य कदम उठाने के लिए पैसे के भुगतान के लिए न्यासी बोर्ड द्वारा आवश्यक समझा जा सकता है।किसी अन्य गतिविधि को करने के लिए, जो उपरोक्त वस्तुओं के साथ असंगत नहीं है।
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