नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज वैभव शिखर सम्मेलन कार्यक्रम में देशभर के शोधकर्ताओं व वज्ञानिकों को संबोधित किया। उन्होंने सबसे पहले कहा कि मैं उन वैज्ञानिकों को धन्यवाद देना चाहता हूं जिन्होंने आज अपने सुझाव और विचार पेश किए। आप में से अधिकांश ने भारतीय शैक्षणिक और अनुसंधान पारिस्थितिकी तंत्र की अपने विदेशी समकक्षों के साथ सहभागिता के महत्व पर प्रकाश डाला।
विज्ञान, अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार ने कई कदम उठाए हैं। सामाजिक-आर्थिक क्षेत्र में बदलाव की दिशा में हमारे प्रयासों का मूल विज्ञान है। हम अपने किसानों की मदद के लिए शीर्ष श्रेणी के वैज्ञानिक अनुसंधान चाहते हैं। हमारे कृषि अनुसंधान वैज्ञानिकों ने दालों के हमारे उत्पादन को बढ़ाने के लिए कड़ी मेहनत की है। आज हम दाल का बहुत ही कम हिस्सा आयात करते हैं। हमारा खाद्यान्न उत्पादन नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा है।
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उन्होंने आपने भाषण में कहा कि आत्मनिर्भर भारत के लिए भारत के स्पष्ट आह्वान में वैश्विक कल्याण की दृष्टि शामिल है। इस सपने को साकार करने के लिए, मैं आप सभी को आमंत्रित करता हूं और आपका समर्थन चाहता हूं।
उन्होंने आगे कहा कि हाल ही में भारत ने अग्रणी अंतरिक्ष सुधारों की शुरुआत की। ये सुधार उद्योग और शिक्षा दोनों के लिए अवसर प्रदान करते हैं। पिछली शताब्दी में विज्ञान की मदद से प्रमुख ऐतिहासिक सवालों को हल किया गया है।
वैज्ञानिक तकनीकों का उपयोग अब तिथियों के निर्धारण और अनुसंधान में मदद करने में किया जाता है। हमें भारतीय विज्ञान के समृद्ध इतिहास को भी बढ़ाना होगा। यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि अधिक से अधिक युवा विज्ञान में रुचि विकसित करें। उसके लिए हमें विज्ञान का इतिहास और विज्ञान का इतिहास से अच्छी तरह से परिचित होना चाहिए।
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