PM Modi बोले- ईज ऑफ डूइंग बिजनेस और ईज ऑफ लिविंग की तरह ही इंसाफ भी उतना ही जरूरी है

देश
किशोर जोशी
Updated Jul 30, 2022 | 12:31 IST

पीएम मोदी ने कहा कि ये समय हमारी आजादी के अमृत काल का है, ये समय उन संकल्पों का है जो अगले 25 वर्षों में देश को नई ऊंचाई पर ले जाएंगे।

PM Modi says Ease of justice is equally important as ease of doing business ease of living
पीएम बोले- किसी भी समाज के लिए Judicial system तक access जितना जरूरी है 
मुख्य बातें
  • e-Courts Mission के तहत देश में virtual courts शुरू की जा रही हैं- पीएम मोदी
  • पीएम बोले- किसी भी समाज के लिए Judicial system तक access जितना जरूरी है
  • न्याय का ये भरोसा हर देशवासी के अधिकारों की रक्षा कर रहा है- मोदी

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को पहले जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि न्याय की आसानी उतनी ही महत्वपूर्ण है जितना कि व्यापार करने में आसानी और जीवन जीने में आसानी। पीएम मोदी ने कहा कि समाज के लिए न्याय प्रदान करना उतना ही महत्वपूर्ण है जितना न्यायिक प्रणाली तक पहुंच है। पीएम मोदी ने कहा कि न्याय प्रदान करने के लिए न्यायिक अवसंरचना महत्वपूर्ण है, इसे मजबूत करने के लिए पिछले आठ साल में तेज़ी से काम किया गया।

नई ऊंचाइयों पर ले जाएंगे

विज्ञान भवन में आयोजित कार्यक्रम में मुख्य न्यायाधीश एनवी रमण के साथ एक मंच साझा करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि नागरिकों को उनके अधिकारों, कर्तव्यों, नियमों और उपायों के बारे में सूचित करने में प्रौद्योगिकी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। पीएम मोदी ने कहा, 'यह समय आजादी का अमृत काल का समय है। यह उन संकल्पों का समय है जो अगले 25 वर्षों में देश को नई ऊंचाइयों पर ले जाएंगे।'

न्याय दिलाता है अहसास

पीएम मोदी ने कहा, 'आप सब यहां संविधान के experts और जानकार हैं। हमारे संविधान के आर्टिकल 39A, जो Directive principal of state policy के अंतर्गत आता है, उसने लीगल एड को बहुत प्राथमिकता दी है। न्याय का ये भरोसा हर देशवासी को ये एहसास दिलाता है कि देश की व्यवस्थाएं उसके अधिकारों की रक्षा कर रही हैं। इसी सोच के साथ देश ने National Legal Services Authority की स्थापना भी की। ताकि कमजोर से कमजोर व्यक्ति को भी न्याय का अधिकार मिल सके। एक आम नागरिक संविधान में अपने अधिकारों से परिचित हो, अपने कर्तव्यों से परिचित हो। उसे अपने संविधान, और संवैधानिक संरचनाओं की जानकारी हो, rules और remedies की जानकारी हो।'
 

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