भारतीय किसान संघ (क्रांतिकारी) ने स्वीकार किया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के काफिले को उसके कार्यकर्ताओं ने रोक दिया था। Times Now से बात करते हुए भारतीय किसान संघ (BKI) क्रांतिकारी के प्रमुख सुरजीत सिंह फूल ने कहा कि 12-13 किसान संगठनों ने विरोध करने का फैसला किया क्योंकि सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर कोई समिति नहीं बनाई थी।
हालांकि, उन्होंने कहा कि समूह उस जगह से 8 किलोमीटर दूर विरोध कर रहा था जहां पीएम मोदी की रैली करने की योजना थी और यह पीएम के काफिले में अंतिम मिनट में मार्ग परिवर्तन हुआ जिसके परिणामस्वरूप ये घटना हुई।
फूल ने टाइम्स नाउ को टेलीफोन पर बातचीत में बताया कि पंजाब से 12 या 13 संगठन थे जिन्होंने विरोध करने का फैसला किया था। विरोध का कारण यह था कि सरकार के आश्वासन के बावजूद एमएसपी पर कोई समिति नहीं बनाई गई है, तीन कृषि कानूनों के विरोध में मारे गए किसानों को कोई मुआवजा नहीं दिया गया है और गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी (लखीमपुर खीरी मामले में) के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है। दोपहर करीब 2 बजे हमें पता चला कि पीएम बठिंडा से सड़क मार्ग से आ रहे हैं। रैली के पास एक बड़ा हेलीपैड था। पुलिस ने कहा कि वह सड़क मार्ग से आ रहे हैं तो हमने सोचा कि पुलिस झूठ बोल रही है और पीएम हवाई मार्ग से आ रहे होंगे। इसलिए हमने रास्ता नहीं छोड़ा। हमने कहा कि आप झूठ बोल रहे हैं।
उन्होंने आगे कहा कि पुलिस ने प्रदर्शन कर रहे किसानों को रोकने की कोशिश की, लेकिन पुलिस और किसानों की संख्या बराबर थी। हमने सड़क नहीं छोड़ी। हमें नहीं पता कि उनका कार्यक्रम कैसे बदला गया। अगर हमें यकीन होता कि वह सड़क से आ रहे हैं तो हम सड़क खाली कर देते। यह एक भ्रम था।
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इस सवाल के जवाब में कि क्या बीकेयू क्रांतिकारी सदस्य उस घटना के लिए माफी मांगेंगे जिसके परिणामस्वरूप सुरक्षा में बड़ी चूक हुई, तो फूल ने कहा कि माफी मांगने का कोई सवाल ही नहीं है क्योंकि विरोध करना उनका 'लोकतांत्रिक अधिकार' है। क्या हम विरोध नहीं कर सकते? यह हमारा लोकतांत्रिक अधिकार है। हमने जो भी किया है, सही किया है।
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