'तिरंगा यात्रा':राजनीति के बीच जानें झंडे पर अपना ये खास अधिकार, 20 साल पुरानी है कहानी

देश
प्रशांत श्रीवास्तव
Updated Jul 22, 2022 | 16:22 IST

'Har Ghar Tiranga' campaign: इस बार 15 अगस्त के अवसर पर सरकार ने 'हर घर तिरंगा' अभियान शुरू किया है। लोगों से 13 से 15 अगस्त के बीच अपने घरों पर तिरंगा फहराने की अपील की गई है।

indian flag and rights
तिरंगे पर क्या है भारतीयों के अधिकार 
मुख्य बातें
  • तिरंगे के इतिहास में 26 जनवरी, 2002 का एक खास स्थान है।
  • यही वह दिन है जब भारत के आम नागरिकों को भी अपनी मर्जी  से किसी भी दिन झंडा फहराने का अधिकार मिला।
  • इस अधिकार को दिलाने में उद्योगपति नवीन जिंदल की अहम भूमिका रही है।

'Har Ghar Tiranga' campaign: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज ट्वीट कर, तिरंगे की यात्रा के बारे खास जानकारियां शेयर की है। उन्होंने अपने ट्वीट में बताया है कि आज 22 जुलाई है और इस दिन का हमारे इतिहास में खास महत्व है। इसी दिन 1947 को हमने राष्ट्रीय ध्वज के रूप में तिरंगे को अंगीकार किया।  उन्होंने आगे लिखा है, 'मैं तिरंगे से जुड़ी कुछ रोचक जानकारियां आपके सामने ला रहा हूं। खासकर उस कमेटी के बारे में जो राष्ट्रीय ध्वज के निर्माण से जुड़ी रही। इसी तिरंगे को पंडित नेहरू ने पहली बार फहराया। 

प्रधानमंत्री ने अपने एक अन्य ट्वीट में कहा है कि आज हमें उन लोगों को याद करने की जरूरत है जिन्होंने देश की आजादी के लिए एक राष्ट्रीय ध्वज का सपना देखा। हम उनकी सोच एवं सपने के अनुसार भारत का निर्माण करने के अपने इरादे को दोहराते हैं। 

लेकिन प्रधानमंत्री के इस ट्वीट को टैग करते हुए कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने उन पर तीखा हमला बोल दिया। उन्होंने अपने ट्वीट में कहा कि 'हिपोक्रेसी जिंदाबाद! ये खादी से राष्ट्रीय ध्वज बनाने वालों की आजीविका को नष्ट कर रहे हैं, जिसे नेहरू जी ने भारत की आजादी का पोशाक बताया था। ये उस संगठन के प्रचारक रहे हैं जिसे नागपुर में राष्ट्रीय ध्वज फहराने में 52 साल लगे। साफ है कि एक बार फिर राजनीति शुरू हो गई है। लेकिन इस राजनीति के बीच यह जानना जरूरी है कि एक आम आदमी को तिरंगे पर आज से 20 साल पहले क्या अधिकार मिल था।

20 साल पहले मिला खास अधिकार

तिरंगे के इतिहास में 26 जनवरी, 2002 का एक खास स्थान है। यही वह दिन है जब भारत के आम नागरिकों को भी अपनी मर्जी  से किसी भी दिन झंडा फहराने का अधिकार मिला। इसके पहले  झंडा फहराने का अधिकार तो था लेकिन सिर्फ कुछ खास अवसर, जैसे स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर झंडा फहराया जा सकता है। लेकिन 26 जनवरी, 2002 से भारतीय झंडा संहिता में संशोधन के बाद ,आम नागरिकों को कहीं भी कभी भी राष्ट्रीय झंडा फहराने का मौका मिला। इसके बाद से आम आदमी अपने घरों, कार्यालयों और फैक्ट्रियों में किसी भी दिन तिरंगा फहरा सकते हैं। हालांकि इसके लिए उन्हें झंडे का पूरी तरह से सम्मान कायम रखना होगा और तय मानकों के आधार पर झंडे को फहराना होगा।

इस अधिकार को दिलाने में उद्योगपति नवीन जिंदल की अहम भूमिका रही है। असल में उन्होंने इसके लिए करीब सात साल तक कानूनी लड़ाई लड़ी थी। और उसी के बाद 2002 में सुप्रीम कोर्ट ने इस अधिकार का आदेश दिया और फिर संसद ने नियमों में संशोधन कर इसे लागू किया।

भारतीय झंडा संहिता तीन हिस्सों में बंटी हुई है। 

  • पहले हिस्से में राष्ट्रीय ध्वज के आकार और निर्माण और उसे जुड़े नियमों का उल्लेख है।
  • दूसरे हिस्से में आम लोग, निजी संगठनों, शैक्षिक संस्थानों द्वारा झंडा फहराने और उसके रखरखाव आदि के नियम बताए गए हैं।
  • तीसरे हिस्से में केंद्र एवं राज्य सरकार और उनके संगठन एवं एजेंसियों द्वारा झंडा फहराने उसके देखभाल से जुड़े नियमों का उल्लेख है।

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