नई दिल्ली: आज पूरी दुनिया में 'अर्थ डे' यानी पृथ्वी दिवस मनाया जा रहा है। सबसे पहले अर्थ डे' साल 1970 में मनाया गया था। 'अर्थ डे' के मौके पर पर्यावरण संरक्षण के बारे में लोगों को जागरूक किया जाता है। साथ ही लोग पर्यावरण को बेहतर बनाने का संकल्प भी लेते हैं। पर्यावरण संरक्षण को समर्थन देने के लिए हर साल 22 अप्रैल को 'अर्थ डे' मनाया जाता है,इस मौके पर पीएम मोदी ने भी ट्वीट कर खास संदेश दिया है।
हर साल इस दिवस को मनाने के लिए एक विशेष थीम होती है। इस बार 'अर्थ डे' 2020 के लिए थीम क्लाइमेट एक्शन (जलवायु कार्रवाई) है। जलवायु परिवर्तन पिछले कई दशकों में दुनिया में एक बड़ी मसला बनकर उभरा है।
पीएम मोदी ने अपने संदेश में कहा है कि अंतर्राष्ट्रीय अर्थ डे पर हम सभी हमारे देखभाल और हम पर करुणा के लिए अपने ग्रह का आभार व्यक्त करते हैं। आइए हम एक स्वच्छ, स्वस्थ और अधिक समृद्ध ग्रह की दिशा में काम करने का संकल्प लें।
पृथ्वी पर रहने वाले तमाम जीव-जंतुओं और पेड़-पौधों को बचाने तथा दुनिया भर में पर्यावरण के प्रति जागरुकता बढ़ाने के लक्ष्य के साथ 22 अप्रैल के दिन ‘पृथ्वी दिवस’ यानि 'अर्थ डे' मनाने की शुरूआत की गई थी।
1970 में शुरू की गई इस परंपरा को 192 देशों ने खुली बांहों से अपनाया और आज लगभग पूरी दुनिया में प्रति वर्ष पृथ्वी दिवस के मौके पर धरा की धानी चुनर को बनाए रखने और हर तरह के जीव-जंतुओं को पृथ्वी पर उनके हिस्से का स्थान और अधिकार देने का संकल्प लिया जाता है।
कैसे हुई 'अर्थ डे' की शुरुआत?
अर्थ डे' की शुरुआत अमेरिकी सीनेटर गेलोर्ड नेल्सन ने पर्यावरण संरक्षण को समर्थन देने के लिए थी। सबसे पहले 'अर्थ डे' 22 अप्रैल 1970 को मनाया गया था। दरअसल, साल 1969 में कैलिफोर्निया के सांता बारबरा में तेल रिसाव की भारी बर्बादी को देखने के बाद नेल्सन इतने आहत हुए कि उन्होंने पर्यावरण संरक्षण को लेकर कुछ करने का फैसला किया।
साल 1970 में 22 जनवरी को समुद्र में तीन मिलियन गैलेन तेल बहते हुए पहुंचा था, जिसकी वजह से 10,000 से ज्यादा सी-बर्ड, डाल्फिन, सील और सी-लायंस मारे गए थे। इसके बाद नेल्सन के आह्वाहन पर 22 अप्रैल 1970 को लगभग दो करोड़ अमेरिकी लोगों ने 'अर्थ डे' के पहले आयोजन में हिस्सा लिया था।
इस आयोजन में भाग लेने के लिए हर समाज, वर्ग और क्षेत्र से लोग सामने आए थे। दुनिया में अब 'अर्थ डे' लगभग 195 से ज्यादा देशों में मनाया जाता है।
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