प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अगले 18 महीनों में 10 लाख सरकारी नौकरियां देने का वादा किया है। इसका मतलब है कि रोजाना करीब 1850 लोगों को नौकरी पर रखा जाएगा, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने निर्देश दिया है कि यह कार्य मिशन मोड पर यानी जल्दी से जल्दी पूरा किया जाना चाहिए। पीएम मोदी ने जबसे सरकारी नौकरी देने की बंपर घोषणा की है, तब से इसके सियासी मायने निकाले जा रहे हैं।
हम भी 10 लाख नौकरी देने के सरकार के पूरे रोडमैप को समझने की कोशिश करेंगे और इसके सियासी मायने भी जानेंगे लेकिन पहले जानिए कि पीएम मोदी ने इस पर क्या कहा है?
पीएम मोदी ने मंगलवार को ट्वीट कर कहा कि 2023 के दिसंबर तक इन 10 लाख पदों पर मिशन मोड में भर्तियां की जाएंगी। इसके लिए सभी विभागों और मंत्रालयों को आदेश जारी किए गए हैं। पीएम मोदी ने सभी विभागों और मंत्रालयों में रिक्त पड़े पदों की समीक्षा की है और अगले डेढ़ साल में सभी खालों पदों पर भर्ती करने का निर्देश दिया है,उन्हें मिशन मोड में यह भर्तियां करने को कहा गया है।
सेना में करीब दो सालों से कोई भर्ती नहीं हुई है
इस घोषणा के महज तीन घंटे बाद गृह मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि हमने खाली पदों को भरने के लिए काम शुरू कर दिया है. धीरे-धीरे कई अन्य मंत्रियों और विभागों ने ट्वीट कर कुछ इसी तरह के इरादे जाहिर कर दिए। पीएम मोदी ने 14 जून यानी मंगलवार को जब यह घोषणा की उसके महज कुछ ही घंटे बाद सेना ने भी अग्निपथ योजना घोषणा की है, इसके जरिए करीब 46000 युवाओं को रोजगार मिलेगा। सेना में करीब दो सालों से कोई भर्ती नहीं हुई है।
अलग-अलग विभागों में 1 मार्च 2020 तक करीब 8.72 लाख खाली पद
पिछले साल जुलाई में राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने एक सवाल के जवाब में कहा था कि केंद्र सरकार के अलग-अलग विभागों में 1 मार्च 2020 तक करीब 8.72 लाख खाली पद हैं। 2014-15 के बाद से सरकारी विभाग में खाली पदों की संख्या बढ़ती ही गई। इस दौरान सिर्फ 2019-20 में खाली पदों की संख्या में कमी आई थी। इस साल 6 अप्रैल को संसद मे एक और सवाल के जवाब में सरकार ने कहा कि यूपीएससी और एसएससी ने साथ मिलकर 2017 से 2022 की पांच साल की अवधि में करीब 2 लाख लोगों की भर्ती की है। सरकारी रिपोर्ट के मुताबिक सबसे ज्यादा खाली पद रक्षा, रेलवे, गृह मंत्रालय, डाक तार विभाग और रेवेन्यू डिपार्टमेंट में है। यानी अगले डेढ़ सालों में सबसे ज्यादा भर्ती भी इन्हीं विभागों में होनी है।
अब ये जान लीजिए किस विभाग में कितने पद खाली है?
सिविल डिफेंस- 2.लाख 47 हजार
रेलवे- 2 लाख 37 हजार
गृह मंत्रालय- 1 लाख 28 हजार
डाक विभाग- 90 हजार 50
इंडियन ऑडिट एंड अकाउंट्स डिपार्टमेंट- 28 हजार 237
अचानक क्यों हुआ ये फैसला?
पिछले कई सालों से सरकारी पदों पर भर्तियां नहीं हुई हैं. जिससे माना जा रहा है कि युवाओं में काफी नाराजगी है, जबकि लाखों पद खाली पड़े हैं. इसे लेकर मोदी सरकार हमेशा विपक्ष के निशाने पर रही है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी समेत अन्य नेता बार-बार रोजगार को लेकर मोदी सरकार को घेरते रहते हैं. खासकर, हर साल दो करोड़ नौकरियों के वादे पर विपक्ष के तमाम दल और नेता मोदी सरकार से सवाल पूछते रहते हैं. विभिन्न सरकारी क्षेत्रों में खाली पड़े पदों का मुद्दा भी पिछले कुछ समय से सुर्खियों में रहा है।
रोजगार चुनाव में भी एक बड़ा मुद्दा बनता रहा है
इस साल हुए पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में भी यह मुद्दा काफी गरमाया था. पिछले विधानसभा चुनावों में विपक्षी दलों ने बेरोजगारी के मुद्दे को जोर-शोर से उठाया था। 2020 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने भी 10 लाख लोगों को सरकारी नौकरी देने का वादा किया था। उनके इस वादे ने बिहार चुनाव में काफी गरमाहट ला दी थी और बाजी उनके हाथों में आते-आते रह गई थी। खुद बीजेपी सांसद वरुण गांधी भी रोजगार का मुद्दा हमेशा उठाते रहते हैं।
'2024 के लोकसभा चुनाव में भी यह बड़ा मुद्दा बन सकता था'
लिहाजा माना जा रहा है कि 2024 के लोकसभा चुनाव में भी यह बड़ा मुद्दा बन सकता था लिहाजा विपक्ष की इसी आलोचना की काट के लिए केंद्र सरकार ने यह फैसला किया है, पीएम मोदी के इस फैसले की सबसे बड़ी वजह 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव को ही माना जा रहा है। अगले 18 महीनों में 10 लाख पदों को भरे जाने का मतलब है कि केंद्र की सत्ताधारी बीजेपी के पास 2024 के आगामी लोकसभा चुनाव में बेरोजगारी के मुद्दे पर विपक्ष की हर आलोचना पर पलटवार के लिए एक ठोस जवाब रहेगा।
सभी सरकारी विभागों में ‘मिशन मोड’ पर 10 लाख भर्तियां करने का PM मोदी का निर्देश
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि अगले डेढ़ साल में सभी सरकारी विभागों में ‘मिशन मोड’ पर 10 लाख भर्तियां करने का प्रधानमंत्री मोदी का निर्देश युवाओं में नयी उम्मीद और विश्वास लेकर आएगा, शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री देश के उन युवाओं को सशक्त बनाने के लिए लगातार काम कर रहे हैं जो नए भारत के आधार हैं। हालांकि, भारत के लिहाज से सिर्फ 10 लाख नौकरियां नाकाफी हैं, मैकिन्जी ग्लोबल इंस्टिट्यूट की 2020 की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 2030 तक कम से कम 9 करोड़ नौकरी की जरूरत होगी. इसमें कृषि सेक्टर को छोड़कर दूसरे सेक्टर के नौकरी की बात कही गई है।
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