लोकसभा में बोले PM मोदी- कांग्रेस ने कृषि कानूनों के रंग पर तो चर्चा की लेकिन इंटेंट-कंटेंट पर नहीं की

देश
लव रघुवंशी
Updated Feb 10, 2021 | 21:04 IST

PM Modi speech in Lok Sabha: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में बोलते हुए कृषि कानूनों और किसान आंदोलन को लेकर कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा।

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी  

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज राष्ट्रपति के अभिभाषण पर लाए गए धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि राष्ट्रपति जी के भाषण ने भारत की संकल्प शक्ति को प्रदर्शित किया। उनके शब्दों ने भारत के लोगों में आत्मविश्वास की भावना को बढ़ाया है। राष्ट्रपति के भाषण पर चर्चा के दौरान बड़ी संख्या में महिला सांसदों ने हिस्सा लिया। यह एक महान संकेत है। मैं उन महिला सांसदों को बधाई देना चाहता हूं जिन्होंने सदन की कार्यवाही को अपने विचारों से समृद्ध किया।

'2047 तक देश को कहां ले जाना है?'

हम आजादी के 75 साल के दरवाजे पर दस्तक दे रहे हैं। यह हर भारतीय के लिए गर्व की बात है और आगे बढ़ने का अवसर है। हम किसी भी कोने में हों या समाज के किसी भी तबके से हों, लेकिन हमें एक नया संकल्प करना चाहिए कि हम भारत को आजादी के 100 साल पर कहां ले जाना चाहते हैं। आजादी के 75 साल के पूरा होने के पर्व पर हम यह प्रेरणा लें कि 2047 तक देश को कहां ले जाना है?

'भारत विश्व के लिए एक आशा की किरण है'

दुनिया ने 2 विश्व युद्ध देखे हैं। दूसरे विश्व युद्ध के बाद पूरे विश्व की व्यवस्था में परिवर्तन आया। इसी तरह, कोविड संकट के बाद एक नई विश्व व्यवस्था बन रही है। आत्मनिर्भर भारत दुनिया में भारत को एक महत्वपूर्ण शक्ति बनाएगा। देश जब आजाद हुआ तो आखिरी ब्रिटिश कमांडर यही कहते रहते थे कि भारत कई देशों का महाद्वीप है, कोई भी इसे एक राष्ट्र नहीं बना पाएगा। परंतु भारतवासियों ने इस आशंका को तोड़ा। आज हम विश्व के सामने एक राष्ट्र के रूप में खड़े हैं और विश्व के लिए एक आशा की किरण हैं। कोरोना काल में भारत ने जिस प्रकार से अपने आपको संभाला और दुनिया को संभालने में मदद की, वो एक प्रकार से 'टर्निंग प्वाइंट' है।

मनीष तिवारी को दिया जवाब

कोरोना काल के बाद एक नई विश्व व्यवस्था बनती नजर आ रही है, जिसमें भारत विश्व से कटकर नहीं रह सकता, हमें भी एक मजबूत पक्ष के रूप में उभरना होगा, सशक्त होना पड़ेगा और इसका रास्ता 'आत्मनिर्भर भारत' है। कोरोना के सामने दुनिया के बड़े-बड़े देशों ने घुटने टेक दिए, ऐसे समय में 130 करोड़ देशवासियों के अनुशासन और समर्पण ने आज हमें बचाकर रखा है, 130 करोड़ देशवासियों को श्रेय जाता है। प्रधानमंत्री मोदी ने कांग्रेस नेता मनीष तिवारी की एक टिप्पणी का उल्लेख करते हुए लोकसभा में कहा कि भगवान की कृपा थी कि दुनिया हिल गई, लेकिन भारत बच गया, स्वास्थ्यकर्मी, सफाईकर्मी भगवान का रूप बनकर आए। 

प्रधानमंत्री मोदी ने कांग्रेस पर कटाक्ष करते हुए कहा कि सदन में तीनों कृषि कानूनों के कंटेंट (विषय वस्तु) और इंटेंट (मंशा) पर बात नहीं हुई। मैंने देखा कि यहां कांग्रेस के साथियों ने कृषि कानूनों पर चर्चा की, वो रंग पर तो बहुत चर्चा कर रहे थे कि काला है या सफेद है, परंतु अच्छा होता अगर वो इनके इंटेंट पर और इसके कंटेंट पर चर्चा करते। सरकार द्वारा तीन कृषि कानून लाए गए, ये कृषि सुधार महत्वपूर्ण और आवश्यक हैं। कृषि कानूनों को अध्यादेश और बाद में संसद द्वारा पारित किया गया। इन कानूनों के लागू होने के बाद कोई भी मंडियां बंद नहीं हुईं, एमएसपी राष्ट्र में कहीं भी समाप्त नहीं हुआ। यह एक सच्चाई है जिसे हम छिपाते हैं, इसका कोई अर्थ नहीं है। कानून बनने के बाद एमएसपी पर खरीद बढ़ी। यह सदन, हमारी सरकार और हम सभी उन किसानों का सम्मान करते हैं जो कृषि बिलों पर अपने विचार व्यक्त कर रहे हैं। यही वजह है कि सरकार के वरिष्ठ मंत्री लगातार उनसे बात कर रहे हैं। किसानों के लिए बहुत सम्मान है।

'मांगने वाला समय गया'

आंदोलन के तौर-तरीकों को लेकर प्रधानमंत्री ने कहा कि आंदोलनकारी ऐसे तरीके नहीं अपनाते, बल्कि ‘आंदोलनजीवी’ ऐसा करते हैं, ये तौर-तरीके देश के लिए चिंता का विषय होना चाहिए। मैं हैरान हूं पहली बार एक नया तर्क आया है कि हमने मांगा नहीं तो आपने दिया क्यों। दहेज हो या तीन तलाक, किसी ने इसके लिए कानून बनाने की मांग नहीं की थी, लेकिन प्रगतिशील समाज के लिए आवश्यक होने के कारण कानून बनाया गया मांगने के लिए मजबूर करने वाली सोच लोकतंत्र की सोच नहीं हो सकती है। हमारे यहां एग्रीकल्चर समाज के कल्चर का हिस्सा रहा है। हमारे पर्व, त्योहार सब चीजें फसल बोने और काटने के साथ जुड़ी रही हैं हमारा किसान आत्मनिर्भर बने, उसे अपनी उपज बेचने की आजादी मिले, उस दिशा में काम करने की आवश्यकता है। 

आंदोलनकारियों और आंदोलनजीवियों में फर्क करना जरूरी

मैं किसान आंदोलन को पवित्र मानता हूं। लेकिन, आंदोलनजीवियों ने पवित्र आंदोलन का अपहरण कर लिया। किसान के पवित्र आंदोलन को बदनाम करने का काम आंदोलनकारियों ने नहीं, आंदोलनजीवियों ने किया है। टेलीकॉम टावरों को नष्ट करना, टोल प्लाजा पर काम नहीं करने देना- क्या यह पवित्र आंदोलन है। ऐसे लोग हैं जो सही बातें करते हैं। लेकिन जब सही चीजें करने की बात आती है, तो शब्दों को कार्रवाई में बदलने में विफल होते हैं। जो लोग चुनावी सुधारों पर बड़ी बात करते हैं वे वन नेशन वन इलेक्शन का विरोध करते हैं। वे लैंगिक न्याय की बात करते हैं लेकिन ट्रिपल तलाक का विरोध करते हैं। देश को आंदोलनकारियों और आंदोलनजीवियों के बारे में फर्क करना बहुत जरूरी है।

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