गुजरात में पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि सहकार, गांव के स्वाबलंबन का भी बहुत बड़ा माध्यम है। इसमें आत्मनिर्भर भारत की ऊर्जा है। 2014 में सरकार बनने के बाद हमने यूरिया की शत-प्रतिशत नीम कोटिंग का किया। इससे देश के किसानों को पर्याप्त यूरिया मिलना सुनिश्चत हुआ। साथ ही हमने यूपी, बिहार, झारखंड, ओडिशा और तेलंगाना में 5 बंद पड़े खाद कारखानों को फिर चालू करने का काम शुरु किया। देश के किसान के हित में जो भी ज़रूरी हो, वो हम करते हैं, करेंगे और देश के किसानों की ताकत बढ़ाते रहेंगे।
आत्मनिर्भरता ही मुश्किलों का हल
आत्मनिर्भरता में भारत की अनेक मुश्किलों का हल है। और आत्मनिर्भरता का एक बेहतरीन मॉडल, सहकार है। ये हमने गुजरात में बहुत सफलता के साथ अनुभव किया है और आप सभी साथी इस सफलता के सेनानी हैं। गुजरात तो इसलिए भी सौभाग्यशाली रहा क्योंकि पूज्य बापू और सरदार साहेब का नेतृत्व यहां हमें मिला। पूज्य बापू ने सहकार से स्वाबलंबन का जो मार्ग दिखाया, उसको सरदार साहेब ने ज़मीन पर उतारने का काम किया:
सहकार आंदोलन को बढ़ाने पर जोर
सहकार की स्पिरिट को आज़ादी के अमृतकाल की स्पिरिट से जोड़ने के लिए हम निरंतर आगे बढ़ रहे हैं। इसी उद्देष्य के साथ केंद्र में सहकारिता के लिए अलग मंत्रालय का गठन किया गया। कोशिश यही है कि देश में सहकारिता आधारित आर्थिक मॉडल को प्रोत्साहित किया जाए।सहकार की सबसे बड़ी ताकत भरोसा है, सहयोग है, सबके सामर्थ्य से संगठन के सामर्थ्य को बढ़ाने का है। यही आज़ादी के अमृतकाल में भारत की सफलता की गारंटी है।हमारे यहां जिसको भी छोटा समझकर कम आंका गया, उसको अमृतकाल में बड़ी ताकत बनाने पर हम काम कर रहे हैं। छोटे किसानों को आज हर प्रकार से सशक्त किया जा रहा है। इसी प्रकार लघु उद्योगों- MSMEs को भारत की आत्मनिर्भर सप्लाई चेन का मज़बूत हिस्सा बनाया जा रहा है:
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