नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मन की बात कार्यक्रम के जरिए देशवासियों को संबोधित किया। अपने संबोधन से पहले पीएम मोदी ने कारगिल के शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने कहा, 'कारगिल विजय दिवस पर, हम अपने सशस्त्र बलों के साहस और दृढ़ संकल्प को याद करते हैं, जिन्होंने 1999 में हमारे राष्ट्र की लगातार रक्षा की। उनकी वीरता पीढ़ियों को प्रेरित करती है।आज मन की बात के दौरान इसके बारे में अधिक बात करेंगे, जो शीघ्र ही शुरू हो रहा है।'
MANN KI BAAT UPDATES
साथियो, अगली बार, जब हम, ‘मन की बात’ में मिलेंगे, उसके पहले ही, 15 अगस्त भी आने वाला है | इस बार 15 अगस्त भी, अलग परिस्थितियों में होगा - कोरोना महामारी की इस आपदा के बीच होगा। बिहार और असम में, इस बाढ़ आपदा से प्रभावित सभी लोगों के साथ पूरा देश खड़ा है: पीएम मोदी
मेरे प्यारे देशवासियो, इस समय बारिश का मौसम भी है । पिछली बार भी मैंने आप से कहा था, कि, बरसात में गन्दगी और उनसे होने वाली बीमारी का खतरा बढ़ जाता है, अस्पतालों में भीड़ भी बढ़ जाती है, इसलिए, आप, साफ़-सफ़ाई पर बहुत ज्यादा ध्यान दें। इम्युनिटी बढ़ाने वाली चीजें, आयुर्वेदिक काढ़ा वगैरह लेते रहें । कोरोना संक्रमण के समय में, हम, अन्य बीमारियों से दूर रहें । हमें, अस्पताल के चक्कर न लगाने पड़ें, इसका पूरा ख्याल रखना होगा- पीएम मोदी
सात समुन्द्र पार, भारत से हजारों मील दूर एक छोटा सा देश है जिसका नाम है ‘सूरीनाम’आज, सूरीनाम में एक चौथाई से अधिक लोग भारतीय मूल के हैं I क्या आप जानते हैं, वहाँ की आम भाषाओँ में से एक ‘सरनामी’ भी, ‘भोजपुरी’ की ही एक बोली है। सौ साल से भी ज्यादा समय पहले भारत से लोग वहां गए और उसे ही अपना घर बना लिया। आज चौथी और पांचवी पीढ़ी वहां पर है। सूरीनाम में एक चौथाई से अधिक लोग भारतीय मूल के हैं: पीएम मोदी
हमें अभी हाल ही में जो बोर्ड एग्जाम के रिजल्ट आये, उसमें भी दिखता है । आज ‘मन की बात’ में हम कुछ ऐसे ही प्रतिभाशाली बेटे-बेटियों से बात करते हैं: पीएम मोदी
साथियो, 7 अगस्त को नेशनल हैंडलूम डे है। भारत का हैंडलूम, हमारा हैंडीक्राफ्ट, अपने आप में सैकड़ो वर्षों का गौरवमयी इतिहास समेटे हुए है। हम सभी का प्रयास होना चाहिए कि न सिर्फ भारतीय Handloom और Handicraft का ज्यादा-से-ज्यादा उपयोग करें, बल्कि, इसके बारे में, हमें, ज्यादा-से-ज्यादा लोगों को बताना भी चाहिए: पीएम मोदी
सभी देशवासियों को रक्षाबंधन की बहुत-बहुत शुभकामनाएं। साथियो, अभी कुछ दिन बाद रक्षाबंधन का पावन पर्व आ रहा है। मैं, इन दिनों देख रहा हूँ कि कई लोग और संस्थायें इस बार रक्षाबंधन को अलग तरीके से मनाने का अभियान चला रहें हैं। कई लोग इसे वोकल फॉर लोकल से भी जोड़ रहे हैं, और, बात भी सही है: पीएम मोदी
मैं, देश के दो इलाकों के बारे में भी बात करना चाहता हूँ, दोनों ही, एक-दूसरे से सैकड़ों किलोमीटर दूर हैं, और, अपने-अपने तरीक़े से भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कुछ हटकर के काम कर रहे हैं। एक है लद्दाख, और दूसरा है कच्छ। वहीँ कच्छ का ज़िक्र होते ही रेगिस्तान, दूर-दूर तक रेगिस्तान, कहीं पेड़-पौधा भी नज़र ना आये, ये सब, हमारे सामने आ जाता है। लेह और लद्दाख का नाम सामने आते ही खुबसूरत वादियाँ और ऊँचे-ऊँचे पहाड़ों के दृश्य हमारे सामने आ जाते हैं, ताज़ी हवा के झोंके महसूस होने लगते हैं: पीएम मोदी
मेरे प्यारे देश्वासियो, सही एप्रोच से सकारात्मक एप्रोच से हमेशा आपदा को अवसर में, विपत्ति को विकास में बदलने में, बहुत मदद मिलती है। मधुबनी मास्क! "बिहार में कई महिला स्वंय सहायता समूहों ने मधुबनी पेंटिंग वाले मास्क बनाना शुरू किया है, और देखते-ही-देखते, ये खूब पॉपुलर हो गये हैं। ये मधुबनी mask एक तरह से अपनी परम्परा का प्रचार तो करते ही हैं, लोगों को, स्वास्थ्य के साथ, रोजगारी भी दे रहे हैं। आप जानते ही हैं पूर्वोत्तर में बांस कितनी बड़ी मात्रा में होता है, अब, इसी बाँस से त्रिपुरा, मणिपुर, असम के कारीगरों ने हाई क्वालिटी की पानी की बोतल और टिफिन बनाना शुरू किया है। छोटे-छोटे स्थानीय उत्पाद से कैसे बड़ी सफलता मिलती है, इसका, एक उदहारण झारखंड से भी मिलता है । झारखंड के बिशुनपुर में इन दिनों 30 से ज्यादा समूह मिलकर के लेमन ग्रास की खेती कर रहे हैं: पीएम मोदी
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