अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार (25 नवंबर) को कहा कि आज डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद और बाबा साहेब अंबेडकर से लेकर संविधान सभा के सभी व्यक्तित्वों को भी नमन करने का दिन है, जिनके अथक प्रयासों से देश को संविधान मिला है। आज का दिन पूज्य बापू की प्रेरणा को, सरदार पटेल की प्रतिबद्धता को प्रणाम करने का दिन है। आज की तारीख, देश पर सबसे बड़े आतंकी हमले के साथ जुड़ी हुई है। पीएम मोदी ने कहा कि संविधान 21वीं सदी की चुनौतियों का सामना करने के लिए हमारा मार्गदर्शक है, हर निर्णय के लिए हमारा आधार राष्ट्रीय हित होना चाहिए। प्रधानमंत्री मोदी ने सरदार सरोवर बांध परियोजना में देरी को लेकर कांग्रेस पर तंज कसते हुए कहा कि जिन्होंने यह किया, उन्हें अब भी कोई खेद नहीं है।
पीएम ने कहा कि भारत अब आतंकवाद से नई नीति और नई प्रक्रिया से लड़ रहा है। पाकिस्तान से आए आतंकियों ने मुंबई पर धावा बोल दिया था। इस हमले में अनेक लोगों की मृत्यु हुई थी। कई देशों के लोग मारे गए थे। मैं मुंबई हमले में मारे गए सभी लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। आज मुंबई हमले जैसी साजिशों को नाकाम कर रहे, आतंक को एक छोटे से क्षेत्र में समेट देने वाले, भारत की रक्षा में प्रतिपल जुटे हमारे सुरक्षाबलों का भी वंदन करता हूं।
पीएम मोदी ने कहा कि संविधान के तीनों अंगों की भूमिका से लेकर मर्यादा तक सबकुछ संविधान में ही वर्णित है। 70 के दशक में हमने देखा था कि कैसे separation of power की मर्यादा को भंग करने की कोशिश हुई थी, लेकिन इसका जवाब भी देश को संविधान से ही मिला। इस वैश्विक महामारी के दौरान भारत की 130 करोड़ से ज्यादा जनता ने जिस परिपक्वता का परिचय दिया है, उसकी एक बड़ी वजह, सभी भारतीयों का संविधान के तीनों अंगों पर पूर्ण विश्वास है। इस विश्वास को बढ़ाने के लिए निरंतर काम भी हुआ है। कोरोना के समय में हमारी चुनाव प्रणाली की मजबूती दुनिया ने देखी है।
पीएम मोदी ने कहा कि इतने बड़े स्तर पर चुनाव होना, समय पर परिणाम आना, सुचारु रूप से नई सरकार का बनना, ये इतना भी आसान नहीं है। हमें हमारे संविधान से जो ताकत मिली है, वो ऐसे हर मुश्किल कार्यों को आसान बनाती है। हमारे निर्णय का आधार एक ही मानदंड होना चाहिए और वो है राष्ट्रहित। राष्ट्रहित ही हमारा तराजू होना चाहिए। हमें ये याद रखना है कि जब विचारों में देशहित और लोकहित की बजाय राजनीति हावी होती है तो उसका नुकसान देश को उठाना पड़ता है।
पीएम मोदी ने कहा कि केवड़िया प्रवास के दौरान आपने सरदार सरोवर डैम की विशालता देखी है, भव्यता देखी है, उसकी शक्ति देखी है। लेकिन इस डैम का काम बरसों तक अटका रहा। आजादी के कुछ वर्षों बाद शुरु हुआ था, अभी कुछ वर्ष पहले ये पूरा हुआ। जनहित का ये प्रोजेक्ट लंबे समय तक अटका रहा। इसी बांध से पैदा हुई बिजली से मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र को लाभ हो रहा है। ये सब बरसों पहले भी हो सकता था। लेकिन बरसों तक जनता इनसे वंचित रही। जिन लोगों ने ऐसा किया, उन्हें कोई पश्चाताप भी नहीं है। उनके चेहरे पर कोई शिकन नहीं है। हमें देश को इस प्रवृत्ति से बाहर निकालना है।
पीएम मोदी ने कहा कि जैसे सदन में एक भाव की आवश्यकता होती, वैसे ही देश में भी एक भाव की आवश्यकता होती। सरदार पटेल का ये स्मारक इस बात का जीता-जागता सबूत है कि जहां कोई राजनीतिक छूआ-छूत नहीं। देश के गौरव से बड़ा कुछ नहीं हो सकता। हर नागरिक का आत्मसम्मान और आत्मविश्वास बढ़े, ये संविधान की भी अपेक्षा है और हमारा भी ये निरंतर प्रयास है। ये तभी संभव है जब हम सभी अपने कर्तव्यों को, अपने अधिकारों का स्रोत मानेंगे, अपने कर्तव्यों को सर्वोच्च प्राथमिकता देंगे।
पीएम मोदी ने कहा कि हमारे यहां बड़ी समस्या ये भी रही है कि संवैधानिक और कानूनी भाषा, उस व्यक्ति को समझने में मुश्किल होती है जिसके लिए वो कानून बना है। मुश्किल शब्द, लंबी-लंबी लाइनें, बड़े-बड़े पैराग्राफ, क्लॉज-सब क्लॉज, यानि जाने-अनजाने एक मुश्किल जाल बन जाता है। हमारे कानूनों की भाषा इतनी आसान होनी चाहिए कि सामान्य से सामान्य व्यक्ति भी उसको समझ सके। हम भारत के लोगों ने ये संविधान खुद को दिया है।
पीएम ने कहा इसलिए इसके तहत लिए गए हर फैसले, हर कानून से सामान्य नागरिक सीधा कनेक्ट महसूस करे, ये सुनिश्चित करना होगा। समय के साथ जो कानून अपना महत्व खो चुके हैं, उनको हटाने की प्रक्रिया भी आसान होनी चाहिए। बीते सालों में ऐसे सैकड़ों कानून हटाए जा चुके हैं।
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