नई दिल्ली। कृषि कानूनों के मुद्दे पर किसान पिछले 70 दिन से दिल्ली की सीमा पर डटे हुए हैं। किसान संगठनों का कहना है कि वो कानूनों को वापस लेने तक आंदोलन को जारी रखेंगे। लेकिन इन सबके बीच पीएम नरेंद्र मोदी ने सर्वदलीय बैठक में कहा कि वो उनके और किसानों के बीच सिर्फ एक कॉल की दूरी है। सरकार सभी मुद्दों पर चर्चा के लिए तैयार है।
किसानों से बातचीत के लिए सरकार अब भी तैयार
केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने बैठक के बाद कहा कि सरकार का प्रस्ताव अब भी बरकरार है। 22-23 जनवरी को कृषि मंत्री नरेद्र सिंह तोमर ने जो प्रस्ताव दिया था उसके तहत हम वार्ता के लिए तैयार हैं। अगर किसान वार्ता चाहते हैं तो वो एक फोन कॉल पर उपलब्ध हूं। जो किसान नेताओं से कहा गया था, वह अब भी बरकरार है। सरकार बातचीत को तैयार है। इस तरह की मंशा को पीएम ने बैठक में दोहराया। जिस तरह से वाशिंगटन में महात्मा गांधी की मूर्ति को तोड़ा गया उस पर पीएम ने कहा कि वो घोर अपमान था और निंदा की।
कांग्रेस का ऐतराज
सर्वदलीय बैठक के बाद लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि पीएम मोदी ने किसानों और सरकारी वार्ता के बारे में उन्हीं बातों को दोहराया जो कृषि मंत्री कहा करते थे। उन्होंने अपनी तरफ से कुछ भी नहीं कहा। इससे साबित होता है कि यह सरकार अहंकार के आवरण को हटाने में यकीन नहीं करती है।
जब टूट गई थी बातचीत
बता दें कि 22 जनवरी को जब किसानों के साथ 11वें दौर की वार्ता हुई तो उसका नतीजा यह रहा कि दोनों पक्षों में से किसी भी पक्ष ने आगे बढ़ने के लिए तारीख मुकर्रर नहीं की। सरकार का कहना था कि हमने अपनी तरफ से बातचीत का प्रस्ताव दे दिया है और अब किसान संगठनों को आगे का रास्ता तय करना है, तो किसानों ने भी साफ कर दिया कि आखिरी फैसला तो सरकार को ही करना है और इन सबके बीच किसान 26 जनवरी को अपनी ट्रैक्टर परेड की मांग पर अड़े रहे।
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