नई दिल्ली। कैप्टन अमरिंदर सिंह- नवजोत सिंह सिद्धू विवाद (Captain Amrinder singh- Navjot Singh Siddhu dispute) में गुरुवार को कांग्रेस आलाकमान द्वारा नियुक्त समिति (congress high level committee) ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी। समिति की रिपोर्ट में जहां एक तरफ कैप्टन की कप्तानी को बरकरार रखने पर बल दिया गया वहीं यह भी सुझाया गया कि नवजोत सिंह सिद्धू को नजरंदाज करना ठीक नहीं होगा। इन सबके बीच पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने कहा कि पार्टी पूरी ताकत के साथ अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव 2020 (punjab assembly election 2020) को लड़ेगी। इसके साथ उन्होंने बड़ी बात यह कही कि अगर किसी दूसरे शख्स को अध्यक्ष बनाए जाने से पार्टी मजबूत होती है तो उन्हें अध्यक्ष पद छोड़ने में किसी तरह की दिक्कत नहीं है। यह होना चाहिए उन्हें हटा दिया जाना चाहिए।
जाखड़ के बयान का मतलब
अब सवाल यह है कि आखिर ऐसा क्या हुआ कि सुनील जाखड़ की तरफ से इस तरह का बयान आया। जानकार कहते हैं कि समिति ने जो सिफारिशें की हैं उससे पूरी तरह ना तो कैप्टन अमरिंदर सिंह सहमति हैं ना ही नवजोत सिंह सिद्धू। बताया जाता है कि सिद्धू चाहते हैं कि पार्टी अध्यक्ष या पोल कैंपेन कमेटी की जिम्मेदारी उन्हें दी जाए। लेकिन कैप्टन अमरिंदर इस तरह की किसी कवायद से इत्तेफाक नहीं रख रहे।
क्या कहते हैं जानकार
जानकार कहते हैं कि जिस तरह अमरिंदर सरकार में मंत्री परगट सिंह की तरफ से भी कैप्टन अमरिंदर सिंह पर टिप्पणी की थी उसके बाद पंजाब कांग्रेस में झगड़ा बढ़ना तय था। ऐसा कहा जा रहा है कि जानबूझकर इस तरह का बयान दिलवाया गया। लेकिन कुछ जानकार कहते हैं कि अमरिंदर सिंह के साथ उनका संबंध कभी बहुत सहज नहीं रहा। अब जब अगले साल पंजाब में विधानसभा चुनाव होंगे तो कैप्टन अमरिंदर सिंह से खार खाए लोगों को लगता है कि इस समय अगर वो अपनी बात पुख्ता तौर पर नहीं रख पाए तो आगे की राह मुश्किल भरी साबित हो सकती है।
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