इस शहर में जानलेवा हुआ प्रदूषण, सांस लेने में हो रही दिक्कत, अचानक बेहोश होकर गिर रहे बच्चे

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Updated Nov 03, 2019 | 11:17 IST | टाइम्स नाउ डिजिटल

उत्तर प्रदेश के लखनऊ में वायु प्रदूषण इस कदर बढ़ गया है कि वहां के लोगों के स्वास्थ्य पर इसका सीधा असर दिख रहा है। लोगों को सांस लेने में समस्या हो रही है और वे बेहोश हो रहे हैं।

lucknow air pollution
लखनऊ एयर पॉल्यूशन  |  तस्वीर साभार: Getty Images
मुख्य बातें
  • दिल्ली ही नहीं नहीं लखनऊ में भी जानलेवा हुआ प्रदूषण
  • सांस लेने में हो रही दिक्कत, बेहोश होकर गिर रहे बच्चे
  • कुछ दिनों से अस्पताल में मरीजों की संख्या में हो रही बढ़ोतरी
  • लोगों को लगातार सावधानी बरतने की दी जा रही है सलाह

लखनऊ : प्रदूषण का प्रभाव दिल्ली एनसीआर में ही नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश के नोएडा गाजियाबाद के अलावा राजधानी लखनऊ तक भी पहुंच गया है। वायु प्रदूषण के चलते लोगों को सांस लेने में दिक्कतें आ रही हैं। हालत ऐसी हो गई है कि प्रदूषण का सीधा असर अब उनके स्वास्थ्य पर पड़ने लगा है। लखनऊ से ये मामले सामने आ रहे हैं वे बेहद चिंताजनक हैं। 

लखनऊ के गोमती नगर में सात वर्षीय एक लड़की दिशा सीढ़ियां चढ़ने के दौरान अचानक से बेहोश होकर गिर पड़ी। मामाल शनिवार का है। बताया जाता है कि सीढ़ियां चढ़ने के दौरान वह अचानक से हांफने लगी। उसके पिता फौरन उसे पास के निजी अस्पताल ले गए जहां डॉक्टरों ने उसे ऑक्सीजन लगाया।

जानकीपुरम में इंजीनियरिंग स्टूडेंट शरद अहिरवार को आधी रात को ही सांस लेने में समस्या आने लगी। उसे भी किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में भर्ती कराया गया। पेशे से मजदूर रेशू शनिवार को तेलीबाग में सड़क किनारे बेहोश अवस्था में पाई गई जिसे बाद में अस्पताल में भर्ती कराया गया। डॉक्टरों ने बताया कि उसके फेफड़ों में समस्या है, उसे ऑक्सीजन दिया गया।  

इन तीनों मामलों में मरीज लखनऊ के अलग-अलग जगहों से हैं और इन तीनों पर प्रदूषण का घातक असर पड़ा है। लखनऊ में शुक्रवार को एयर क्वालिटी इंडेक्स 382 (खराब श्रेणी) था जबकि शनिवार को यह आंकड़ा 422 (बेहद खराब श्रेणी) था। शनिवार को लखनऊ का एयर क्वालिटी इंडेक्स पिछले तीन सालों में सबसे ज्यादा गंभीर पाया गया।

सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (सीपीसीबी) के आंकड़ों के मुताबिक लखनऊ का एयर क्वालिटी इंडेक्स बेहद खतरनाक पाया जा रहा है जिसके कारण इसका असर सीधे लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ता नजर आ रहा है। राज्य सरकार ने एलग-अलग विभागों को इस पर नियंत्रण पाने के लिए सख्त निर्देश दिए हैं लेकिन स्थिति में सुधार अभी फिलहाल नजर नहीं आ रहा है।

कंस्ट्रक्शन साइट पर लगातार निर्माण कार्य जारी है, कुछ जगहों पर प्रदूषण से बचने के लिए हरे जाल लगा दिए गए हैं। केवल पॉश कॉलोनियों में पानी का छिड़काव किया जा रहा है जबकि कूड़े कचरों का जलाया जाना जारी है। किंग जॉर्ज हॉस्पीटल के डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद जो चेस्ट डिजीज (सीने का रोग) के एक्सपर्ट (विशेषज्ञ) हैं उनका कहना है कि इस तरह के हालात जारी रहे तो कमजोर लोगों और अस्थमा के मरीजों के लिए ये बेहद खतरनाक साबित हो सकता है। 

चूंकि फिलहाल प्रदूषण के जल्द खत्म होने की कोई उम्मीद नजर नहीं आ रही है ऐसे में लोगों को घरों से बाहर ज्यादा निकलने से परहेज करना चाहिए, ज्यादा जरूरत हो तो बिना मास्क के ना निकलें। यहां तक कि मॉर्निंग वॉक करने वालों को भी बाहर निकलने से परहेज करना चाहिए और इसकी जगह उन्हें घर पर ही एक्सरसाइज करनी चाहिए। पिछले पांच दिनों में अस्पतालों में भी इस तरह के मरीजों की संख्या में खासी वृद्धि हुई है। सबसे ज्यादा बच्चे और बुजुर्ग इसके शिकार हो रहे हैं।
  

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