चीन की मंशा में खोट! डोकलाम के बाद से ही LAC के भीतरी इलाकों में सैन्य ठिकाने बनाने लगा था 'ड्रैगन'

समाचार एजेंसी एएनआई ने सरकार के सूत्रों के हवाले से कहा है, 'चीन की सेना पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के अंदरूनी इलाकों में सैन्य ठिकाने बनाते आई है।

Post-Doklam, China developing military camps in depth areas along LAC
डोकलाम के बाद से ही LAC के भीतरी इलाकों में सैन्य ठिकाने बनाने लगा था 'ड्रैगन'।  |  तस्वीर साभार: PTI
मुख्य बातें
  • सरकार के सूत्रों का कहना है कि 2017 के बाद से ही एलएसी पर सैन्य ठिकाने बनाने लगा था चीन
  • गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प के बाद पूर्वी लद्दाख सहित एलएसी पर भारत-चीन के बीच जारी है तनाव
  • सीमा पर संघर्ष एवं तनाव कम करने के लिए दोनों देशों के बीच सेना के शीर्ष स्तर पर बातचीत हो रही है

नई दिल्ली : पूर्वी लद्दाख सहित वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन के साथ अप्रैल-मई महीने से जारी तनाव एवं गतिरोध का हल नहीं निकला है। सीमा पर चीन की ओर से होने वाली किसी भी 'चालबाजी' का जवाब देने के लिए सेना के साथ सुरक्षा एजेंसियां चौकस एवं मुस्तैद है। इस बीच, ऐसा माने जाने लगा है कि गलवान घाटी जैसी हिंसा के बाद गतिरोध की बनने वाली स्थितियों के लिए चीन ने अपनी तैयारी 2017 के डोकलाम गतिरोध के बाद शुरू कर दी थी। ऐसा इसलिए कि उसने अरुणाचल प्रदेश से लेकर लद्दाख तक एलएसी के अंदरूनी इलाकों में अपने कई सैन्य ठिकाने बना लिए हैं। 

एलएसी पर चीन के करीब 20 ठिकाने देखे गए
समाचार एजेंसी एएनआई ने सरकार के सूत्रों के हवाले से कहा है, 'चीन की सेना पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के अंदरूनी इलाकों में सैन्य ठिकाने बनाते आई है। इन क्षत्रों में इस तरह के करीब 20 ठिकाने देखे गए हैं। इन सैन्य शिविरों के आस पास नागरिकों को भी देखा जा सकता है।' सूत्रों का कहना है कि इस तरह के सैन्य ठिकाने एलएसी पर चीनी सैनिकों के गश्त को आसान बना सकते हैं। इसके अलावा पीएलए संघर्ष या झड़प की स्थिति पर ज्यादा प्रभावी तरीके से जवाबी कार्रवाई कर सकती है।

डोकलाम के पास गांव बसाने की बात सामने आई
कुछ दिनों पहले आई रिपोर्टों में यह कहा गया कि डोकलाम पठार के पास चीन ने एक गांव बसाया है। साल 2017 में डोकलाम के पास चीन की ओर से किए जा रहे सड़क निर्माण कार्य को भारत ने रोक दिया था। इसके बाद दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने आ गई थीं। दोनों तरफ हालात काफी बिगड़ गए थे। हालांकि, शीर्ष स्तर पर बातचीत के बाद यहां बने गतिरोध को 72 दिनों के बाद टाला जा सका।

गलवान घाटी की घटना के बाद बिगड़े रिश्ते
गलवान घाटी में 15-16 जून की रात भारत और चीन के सैनिकों में हिंसक झड़प हो गई। इस संघर्ष में भारत के 20 जवान शहीद हुए। इस घटना के बाद पूर्वी लद्दाख के पैंगोंग त्सो लेक, हॉट स्प्रिंग और फिंगर इलाके में पीएलए और भारतीय सेना आमने-सामने आ गईं। सीमा पर बढ़ते तनाव को देखते हुए भारत और चीन ने एलएसी पर अपनी भारी-भरकम फौज जमा कर दी है। सीमा पर बने गतिरोध को दूर करने के लिए शीर्ष राजनयिक एवं सैन्य स्तर पर लगातार बातचीत चल रही है लेकिन जमीनी स्तर पर हालात में बदलाव अभी नहीं हुए हैं। भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि वह अपनी एक इंच जमीन से पीछे नहीं हटेगा।   

Times Now Navbharat पर पढ़ें India News in Hindi, साथ ही ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज अपडेट के लिए हमें गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें ।

अगली खबर