अवमानना के दोषी प्रशांत भूषण का कोर्ट से माफी मांगने से इनकार, इस तरह रखा अपना पक्ष

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Updated Aug 24, 2020 | 17:21 IST

Prashant Bhushan: प्रशांत भूषण ने न्यायपालिका के प्रति अपमानजनक दो ट्वीट के लिए उच्चतम न्यायालय से माफी मांगने से सोमवार को इंकार कर दिया।

Prashant Bhushan
प्रशांत भूषण 
मुख्य बातें
  • प्रशांत भूषण को न्यायालय की आपराधिक अवमानना का दोषी ठहराया है
  • पाखंडपूर्ण क्षमा याचना मेरी अंतरात्मा और एक संस्थान के अपमान समान होगा: भूषण

नई दिल्ली: एक्टिविस्ट अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने न्यायपालिका के प्रति अपमानजनक दो ट्वीट के लिए उच्चतम न्यायालय से माफी मांगने से सोमवार को इंकार कर दिया। उन्होंने कहा कि इनमें उन्होंने अपने उन विचारों को व्यक्त किया है जिन पर वह हमेशा विश्वास करते हैं। प्रशांत भूषण ने स्वत: अवमानना के मामले में दाखिल अपने पूरक बयान में कहा कि पाखंडपूर्ण क्षमा याचना मेरी अंतरात्मा और एक संस्थान के अपमान समान होगा। शीर्ष अदालत ने प्रशांत भूषण को इन दो ट्वीट के लिए न्यायालय की आपराधिक अवमानना का दोषी ठहराया है।

भूषण ने कहा कि अदालत के अधिकारी के रूप में उनका मानना है कि जब भी उन्हें लगता है कि यह संस्था अपने स्वर्णिम रिकॉर्ड से भटक रही है तो इस बारे में आवाज उठाना उनका कर्तव्य है। भूषण ने कहा, 'इसलिए, मैंने अपने विचार अच्छी भावना में व्यक्त किए, न कि उच्चतम न्यायालय या किसी प्रधान न्यायाधीश विशेष को बदनाम करने के लिए, बल्कि रचनात्मक आलोचना पेश करने के लिए ताकि संविधान के अभिभावक और जनता के अधिकारों के रक्षक के रूप में अपनी दीर्घकालीन भूमिका से इसे किसी भटकाव से रोका जा सके।'

उन्होंने कहा कि मेरे ट्वीट इस सदाशयता के विश्वास का प्रतिनिधित्व करते हैं जिन्हें मैं हमेशा अपनाता हूं। इन आस्थाओं के बारे में सार्वजनिक अभिव्यक्ति एक नागरिक के रूप में उच्च दायित्वों और इस न्यायालय के बफादार अधिकारी के अनुरूप है। इसलिए इन विचारों की अभिव्यक्ति के लिये सशर्त या बिना शर्त क्षमा याचना करना पाखंड होगा। भूषण ने आगे कहा कि क्षमा याचना सिर्फ औपचारिकता ही नहीं हो सकती है और कि यह पूरी गंभीरता से की जानी चाहिए। 

न्यायालय ने 20 अगस्त को भूषण को न्यायपालिका के प्रति अपमानजनक ट्वीट के लिए क्षमा याचना से इंकार करने संबंधी अपने बगावती बयान पर पुनर्विचार करने और बिना शर्त माफी मांगने के लिए 24 अगस्त तक का समय दिया था। न्यायालय ने अवमानना के लिए दोषी ठहराए गए भूषण की सजा के मामले पर दूसरी पीठ द्वारा सुनवाई का उनका अनुरोध ठुकराया दिया है।

शीर्ष अदालत ने 14 अगस्त को प्रशांत भूषण को न्यायपालिका के प्रति अपमानजनक दो ट्वीट के लिए आपराधिक अवमानना का दोषी ठहराया था। न्यायालय ने कहा था कि इन ट्वीट को ‘जनहित में न्यायपालिका की कार्यशैली की स्वस्थ आलोचना के लिये किया गया’ नहीं कहा जा सकता। न्यायालय की अवमानना के जुर्म में उन्हें अधिकतम छह महीने तक की कैद या दो हजार रुपए का जुर्माना अथवा दोनों की सजा हो सकती है।

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