PK की पदयात्रा पॉलिटिक्स, बिहार की राजनीति में इनके जैसा कर पाएंगे कमाल

देश
प्रशांत श्रीवास्तव
Updated May 06, 2022 | 19:17 IST

Prashant Kishor Politics: प्रशांत किशोर की पद यात्रा का ऐलान, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगन महोन रेड्डी की सफल पदयात्रा की याद दिलाता है। जब 2019 में चुनावों से पहले उन्होंने लोगों से जुड़ने के लिए यही रास्ता अपनाया था।

Prashant Kishore Politics
प्रशांत किशोर की क्या है रणनीति 
मुख्य बातें
  • प्रशांत किशोर राजनीति में दूसरी बार औपचारिक एंट्री करने से पहले फूंक-फूंक कर कदम उठा रहे हैं।
  • आज से 5 महीने बाद वह 2 अक्‍टूबर से 3000 किलोमीटर की पद यात्रा शुरू करेंगे और लोगों को जोड़ेंगे।
  • उन्होंने इस बीच नीतीश कुमार से अपना रिश्ता पिता-पुत्र जैसा बताया है।

Prashant Kishor Politics: राजनीतिज्ञ न होते हुए भी कई राजनीतिज्ञों से ज्यादा सुर्खियों में रहने वाले प्रशांत किशोर ने एक बार फिर चौंका दिया। पहले उन्होंने कांग्रेस में जाते-जाते, अपनी एंट्री रोक कर लोगों को चौंकाया। और अब पटना में मीडिया के सामने यह कह कर चौंका दिया है कि वह कोई पार्टी नहीं बनाने जा रहे हैं। बल्कि जन सुराज की ओर बढ़ने के लिए पद यात्रा करेंगे। जाहिर है प्रशांत किशोर राजनीति में दूसरी बार औपचारिक एंट्री करने से पहले फूंक-फूंक कर कदम उठा रहे हैं। लेकिन  प्रशांत किशोर के इस बात पर हैरानी जरूर है कि वह केवल यह बताने के लिए इतनी सुर्खियां क्यों बना रहे थे कि आज से 5 महीने बाद  वह 2 अक्‍टूबर से 3000 किलोमीटर की पद यात्रा करेंगे और लोगों को जोड़ेंगे। और उसके बाद  जरूरत पड़ने पर पार्टी बनाएंगे।

क्या सोच रहे है पी.के

असल में चुनावी रणनीतिकार के रूप में प्रशांत किशोर यह बखूबी जानते हैं कि बिहार जैसे राज्य में जहां पर जातिगत राजनीति का बोल-बाला है। और नीतीश कुमार, लालू-तेजस्वी, जीतन राम मांझी, चिराग पासवान, मुकेश सहनी जैसे कद्दावर नेता और भाजपा जैसी राजनीतिक पार्टी पहले से मौजूद हैं। वहां पर नई पार्टी बनाकर चुनाव जीतना आसान नहीं है। ऐसे में लगता है उन्होंने अपनी जमीन तैयार करने के लिए पद यात्रा का रास्ता चुना है। वैसे भी राज्य में 2024 के पहले कोई बड़ा चुनाव नहीं होने वाला है। साल 2024 में लोकसभा चुनाव लड़े जाएंगे। जबकि 2025 में बिहार विधानसभा होंगे। ऐसे में उनके पास 2 से 3 साल का पूरा समय है।

पद यात्रा पॉलिटिक्स भारत में रही है मुफीद

प्रशांत किशोर ने पद यात्रा की शुरूआत के लिए महात्मा गांधी के जन्म दिवस 2 अक्टूबर को चुना है। और स्थान भी उन्होंने पूर्वी चंपारण को चुनाव है। जहां पर आजादी की लड़ाई में महात्मा गांधी ने पहली बार सत्याग्रह का इस्तेमाल किया था। अब वहीं से शुरूआत कर , प्रशांत किशोर 3000 किलोमीटर की पदयात्रा करेंगे। असल में आजादी के पहले जिस तरह महात्मा गांधी ने लोगों से जुड़ने के लिए पद यात्रा का मंत्र ईजाद किया। वह आज भी राजनीति में प्रासंगिक है। 

इसका सबसे ताजा सफल उदाहरण आंध्र प्रदेश में मिलता है। जहां पर मौजूदा मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी ने चुनावों के पहले 3500 किमी से ज्यादा की पदयात्रा की थी। करीब एक साल की इस पदयात्रा में उन्होंने 2 करोड़ लोगों से संपर्क साधा था। और उसका असर यह हुआ कि 2019 के विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी वाईएसआर कांग्रेस को  175 में से 151 सीटें मिलीं। रेड्डी की तरह  चंद्रबाबू नायडू ने 2013 में 1,700 किमी लंबी पदयात्रा की थी। और 2014 में उनकी तेलगुदेशम पार्टी को सत्ता का स्वाद मिला। इसी तरह पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रेशखर की भारत यात्रा भी 1983 में काफी चर्चित रही थी। और अभी गुजरात के गांधी आश्रम से कांग्रेस आजादी गौरव यात्रा निकाल रही है। हालांकि इसका नेतृत्व किसी एक नेता के द्वारा नहीं किया जा रहा है।

अभी पार्टी गठन का इरादा नहीं बिहार को समझने के लिए 2 अक्टूबर से करुंगा पदयात्रा- प्रशांत किशोर

नीतीश कुमार से पिता-पुत्र जैसा रिश्ता बताया

असल में प्रशांत किशोर ने पहली बार अपने राजनीतिक करियर की शुरूआत जनता दल (यू) के साथ की थी। और वहा पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी बने थे। और उनकी हैसियत नंबर-2 की हो गई थी। लेकिन एनआरसी के मुद्दे  पर उन्हें पार्टी से निकाल दिया गया था। इसके बावजूद प्रशांत किशोर ने कहा है 'उनका नीतीश कुमार से पिता-पुत्र जैसा रिश्ता रहा है। लेकिन, इसका मतलब यह नहीं है कि मेरी अलग यात्रा नहीं हो सकती है।' जाहिर है  भले ही जद (यू) बिहार में प्रशांत किशोर की एंट्री को लेकर उनकी आलोचन कर रही है। लेकिन प्रशांत किशोर नीतीश कुमार के प्रति सौहाद्र वाला रिश्ता रख रहे है। और फिलहाल वह सुराज यात्रा के जरिए बिहार की राजनीतिक नब्ज ही पकड़ना चाहते हैं। लेकिन अगले 3 साल बाद यह भी तय है कि नीतीश कुमार अपनी राजनीति के आखिरी दौर में होंगे। ऐसे में राजनीति में कब क्या समीकरण बन जाए यह कोई नहीं जानता।

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