Atal Bihari Vajpayee death anniversary : पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की चौथी पुण्यतिथि (16 अगस्त) के मौके पर देश भर में उन्हें श्रद्धांजलि दी जा रही है। आज से चार साल पहले वाजपेयी का दिल्ली के एम्स में निधन हुआ। मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वाजपेयी के समाधि स्थल 'सदैव अटल' पहुंचे और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। वाजपेयी को श्रद्धांजलि देने के लिए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, राजनाथ सिंह, लोकसभा के स्पीकर ओम बिड़ला सहित मोदी कैबिनेट के सभी सदस्य पहुंचे।
तीन बार देश के पीएम बने
वाजपेयी देश के तीन बार प्रधानमंत्री रहे। वह पहली बार 1996 में 13 दिनों के लिए, दूसरी बार 1998 में 13 महीनों के लिए पीएम बने। 1999 में उन्होंने पीएम के रूप में पांच वर्षों का कार्यकाल पूरा किया। वाजपेयी ने लालकृष्ण आडवाणी के साथ 1980 में भारतीय जनता पार्टी की नींव रखी। इसके बाद एक राजनीतिक पार्टी के रूप में भाजपा की यात्रा शुरू हुई। भाजपा को खड़ा करने में वाजपेयी और आडवाणी की सबसे ज्यादा योगदान रहा। अटल बिहारी वाजपेयी अपनी विचारधारा एवं सिद्धांतों के लिए जाने गए। उन्होंने सत्ता के लिए कभी समझौता नहीं किया। वाजपेयी प्रधानमंत्री के तौर पर अपना कार्यकाल पूरा करने वाले पहले गैर-कांग्रेसी प्रधानमंत्री रहे।
एक वोट से गंवाई सरकार, दिया अमर भाषण
साल 1999 में एक वोट से अपनी सरकार गंवाने वाले वाजपेयी का संसद में दिया गया भाषण आज भी याद किया जाता है। पीएम पद से इस्तीफा देने से पहले उन्होंने संसद में भाषण दिया। भाजपा के इस दिवंगत नेता का यह भाषण आज भी याद किया जाता है। उन्होंने कहा था, 'सत्ता का खेल तो चलेगा, सरकारें आएंगी और जाएंगी। पार्टियां बनेंगी-बिगड़ेंगी, मगर ये देश रहना चाहिए, देश का लोकतंत्र अमर रहना चाहिए।'
देश के विकास के लिए कई बड़े फैसले
देश के आर्थिक विकास के लिए पूर्व पीएम वाजपेयी ने कई बड़े फैसले लिए। उन्होंने भारत को जोड़ेन के लिए सड़कों का जाल बिछाया। स्कूली शिक्षा में व्यापक परिवर्तन के लिए सर्व शिक्षा योजना की शुरुआत की। गरीबी से लोगों को ऊपर उठाने के लिए अंत्योदय योजना शुरू की। संचार क्रांति एवं मोबाइल क्रांति के लिए कदम उठाए और विनिवेश को बढ़ावा दिया। 1998 में पोखरण में परमाणु परीक्षण कर भारत को शक्तिशाली देशों की पंक्ति में खड़ा किया।
पाकिस्तान से रिश्ता सुधारना चाहा
प्रधानमंत्री रहते हुए वाजपेयी ने भारत और पाकिस्तान के आपसी रिश्तों को सुधारने की हमेशा कोशिश की। वह फरवरी, 1999 में बस से दिल्ली से लाहौर गए। पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के साथ मिलकर लाहौर दस्तावेज पर हस्ताक्षर किए। यह अलग बात है कि पाकिस्तान ने उनके साथ धोखा किया और कारगिल में धावा बोल दिया। वाजपेयी का व्यक्तित्व ऐसा था कि उनके राजनीतिक विरोधी भी उनकी प्रशंसा करते थे। उन्हें राजनीति का अजातशत्रु भी कहा जाता है। वाजपेयी का जन्म 25 दिसम्बर 1924 को मध्यप्रदेश के ग्वालियर में हुआ था।
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