नई दिल्ली: शरद पवार राजनीति के एक मंझे हुए खिलाड़ी हैं, पवार के बारे में जानने वाले ये कहते हैं कि अगर पवार ने किसी बात के लिए ना कहा तो समझिए इसमें उनकी हामी है। पवार की सियासी चाल समझना इतना आसान नहीं रहा है, इसके कई उदाहरण हम पहले देख चुके हैं।
आखिर पवार पर क्यों दाव खेलना चाहता है विपक्ष
शरद पवार एक ऐसे राजनेता हैं ,जिनका सभी राजनीतिक दलों के नेताओं से अच्छे संबंध हैं। विपक्ष के ज्यादातर नेता इस बात को जानते हैं की पवार विपक्ष के सभी दलों को एक साथ लाने में कामयाब होंगे। बुधवार को विपक्ष के 17 नेताओं को एक मंच पर लाने में ममता कामयाब रहीं,लेकिन सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक इस बैठक की परिकल्पना भी पवार ने ही रची थी। अब बात उस अंकगणित की जिसके आधार पर तय होगा की राष्ट्रपति किस पार्टी का होगा।
लेकिन कुछ पार्टियां जो यूपीए की आधिकारिक रूप से पार्टनर नहीं है लेकिन विपक्ष की एकता को ध्यान में रखते हुए अगर ये सभी पार्टियां एकजुट हो जाती हैं तो विपक्ष एनडीए की राह को मुश्किल कर सकता है। यूपीए के कुल वोट को मिला लिया जाए तो 259892 हो रहे हैं।
लेकिन कुछ राजनीतिक दल ऐसे हैं जिन्होंने अपना रुख तय नहीं किया है कि वे किस तरफ जाएंगे। उनका वोट वैल्यू 292894 है। अगर बीजेडी और जगन की पार्टी एक साथ मिल जाए और विपक्ष को समर्थन कर दे तो एनडीए का खेल ख़राब हो सकता है।
पवार क्यों नहीं हो रहे हैं राष्ट्रपति पद के लिए तैयार
शरद पवार इस बात को बखूबी जानते हैं कि आंकड़े उनके फेवर में नहीं हैं अगर वे इस पद के लिए हामी भरते हैं तो उनकी हार तय है इसलिए वो इस पद को स्वीकार नहीं कर रहे हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक आम आदमी पार्टी भले ही विपक्ष की बैठक में नहीं आई, लेकिन वह पवार के नाम पर देर-सबेर सहमत हो सकती है। TRS के चंद्रशेखर राव भी शरद पवार के संपर्क में हैं।
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक इस बार राष्टपति के चुनाव में बीजेडी और YSRCP किंगमेकर की भूमिका निभाने जा रही है, अगर शरद पवार इन दोनों पार्टियों को साधने में कामयाब हो जाते हैं तो खेल पलट सकता है। अगर ये सभी विपक्षी दल पवार के नाम पर सहमत हो जाते हैं तो पवार मैदान में उतर सकते हैं। पवार इस बात को लेकर एक अहम बैठक 21 तारिख को करने जा रहे हैं।
आइए एक बार एनडीए के अंकगणित को भी समझ लेते हैं
NDA के पास फिलहाल 526420 वोट हैं। अगर एनडीए को अपना उम्मीदवार जीतना है तो उसे और 30000 वोटों की जरूरत है और वो ये आंकड़ा बीजेडी या वाईएसआर कांग्रेस से पूरा कर सकती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से शरद पवार के बड़े अच्छे संबंध हैं। ऐसे में पवार को राष्ट्रपति की उम्मीदवारी से नकारा नहीं जा सकता है। अभी पवार ने अपने सारे पत्ते नहीं खोले नहीं है, इसलिए अभी थोड़ा और इंतज़ार कीजिए और देखिये आगे आगे क्या होता है।
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