नई दिल्ली। 31 जनवरी यानी रविवार का दिन खास रहने वाला है। रामकृष्ण मिशन की मासिक पत्रिका 'प्रबुद्ध भारत' के 125वें वार्षिकोत्सव समारोह को पीएम नरेंद्र मोदी संबोधित करने वाले हैं। 'प्रबुद्ध भारत' पत्रिका भारत के प्राचीन आध्यामिक ज्ञान के संदेश को प्रसारित करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम रही है। और ब्रिटिश भारत में इसके जरिए आधायात्मिक क्षेत्र में हलचल हुई जिसका असर स्वतंत्रता आंदोलन पर भी पड़ा।
मद्रास से प्रकाशित हुआ था प्रबुद्ध भारत
प्रबुद्ध भारत का प्रकाशन पहले मद्रास से शुरू किया गया था और वहां से दो साल तक इसका प्रकाशन होता रहा। बाद में इसका प्रकाशन बाद में अल्मोड़ा से होने लगा। 1899 में पत्रिका के प्रकाशन का स्थान अद्वैत आश्रम में स्थानांतरित कर दिया गया और तब से इसका वहीं से प्रकाशन हो रहा है।
खास है प्रबुद्ध भारत का इतिहास
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वार्षिकोत्सव समारोह का हिस्सा बनेंगे। मायावटी स्थित अद्वैत आश्रम इसका आयोजन किया जा रहा है। भारतीय संस्कृति, आध्यामिकता, दर्शन, इतिहास, मनोविज्ञान समेत कई विषयों पर देश की महान विभूतियों ने अपने लेखन के माध्यम से 'प्रबुद्ध भारत' के पन्नों पर अपनी छाप छोड़ी है। खास बात यह है कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस, बाल गंगाधर तिलक श्री अरबिंदो, ने अपने लेखन से कई वर्षो तक पत्रिका में योगदान दिया।
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