नई दिल्ली। आम तौर पर प्रियंका गांधी को राजनीति के मोर्चे पर फ्रंट पर खेलते हुए उत्तर प्रदेश तक ही सीमित देखा गया है। लेकिन अब वह राष्ट्रीय राजनीति में खुलकर मैदान में उतरने की तैयारी में हैं। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी द्वारा मोदी सरकार को घेरने के लिए बनाई गई कमेटी में प्रियंका गांधी को भी शामिल किया गया है। नौ सदस्यीय कमेटी की कमान दिग्विजय सिंह को दी गई है। जबकि दूसरे नंबर पर प्रियंका गांधी का नाम है। इस कमेटी का मुख्य तौर पर देश भर में किसान के मुद्दों, महंगाई, मोदी सरकार की विदेश नीति, कोविड-19 के प्रबंधन, महिला सुरक्षा, सरकारी संपत्तियों के मोनेटाइजेशन जैसे मुद्दों पर केंद्र सरकार को घेरना और उसके लिए रणनीति बनाना काम होगा। साफ है कि प्रियंका गांधी भी अब राहुल गांधी की तरह खुलकर मैदान में उतरेंगी। नई समिति के के गठन से साफ है कि कांग्रेस 2022 के विधान सभा चुनावों और 2024 के चुनावों के लिए गांधी परिवार का पूरी तरह से इस्तेमाल करना चाहती है।
उत्तर प्रदेश पर ज्यादा फोकस करती रही हैं प्रियंका गांधी वाड्रा
वैसे तो प्रियंका गांधी बैकडोर राजनीति काफी पहले से करती रही है। लेकिन पहली बार जनवरी 2019 में उन्होंने, आधिकारिक तौर पर कांग्रेस पार्टी में किसी पद पर जिम्मेदारी संभाली थी। वह लोक सभा चुनावों के पहले महासचिव बनाई गईं थी। और उन्हें उत्तर प्रदेश की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। उस समय से वह लगातार उत्तर प्रदेश मे संगठन को मजबूत करने और योगी सरकार को घेरने का काम करती आ रही है। चाहे हाथरस में दलित लड़की से बलात्कार का मामला हो, कोविड-19 लहर में प्रदेश सरकार के प्रबंधन की बात हो या फिर अभी फिरोजाबाद में बुखार से बच्चों की हो रही मौत का मामला हो। वह योगी सरकार पर सीधा निशाना साधती हैं।
नई भूमिका में क्या करेंगी
सूत्रों के अनुसार नई भूमिका में प्रियंका गांधी अब सीधे मोदी सरकार को घेरने की तैयारी में हैं। और इसके लिए पूरे देश में कांग्रेस की कहीं आक्रामक रणनीति बनाने की योजना है। जिसमें प्रियंका गांधी की अहम भूमिका रहने वाली है। जिसमें उन्हें कमेटी के अध्यक्ष दिग्विजय सिंह का साथ मिलेगा। कमेटी के सदस्य और कांग्रेस के प्रमुख नेता उदित राज ने टाइम्स नाउ नवभारत डिजिटल से बताया "कमेटी देश भर मोदी सरकार की जन विरोधी नीतियों के लिए पूरा एक्शन प्लान बनाएगी और उसके आधार पर आंदोलन चलाया जाएगा। देश में इस समय किसान परेशान है, लोग महंगाई से त्रस्त है, मोदी सरकार सरकारी संपत्तियों का निजीकरण करने के लिए आतुर, कोविड-19 दौर का कुप्रबंधन और बढ़ती महंगाई ऐसे मुद्दे हैं, जिससे जनता परेशान है। इन सब मुद्दों को लेकर पार्टी सघन अभियान चलाएगी।
जहां तक प्रियंका जी की बात है तो वह पार्टी की वरिष्ठ नेता है। उनके अनुभव से हमें काफी सहायता मिलेगी, साथ ही कांग्रेस कार्यकर्ताओं में नया जोश भरेगा। उत्तर प्रदेश में जिस तरह वह जनता के मुद्दों को उठाती रही है, वहीं समस्याएं पूरे देश में हैं। वहां यहां भी आक्रामक रुप से उन्हें उठाएंगी।"
पार्टी मामलों में प्रियंका का बढ़ रहा है प्रभाव
पिछले कुछ समय से प्रियंका गांधी ने पार्टी के अंदरूनी झगड़ों को सुलझाने में भी अहम भूमिका निभाई है। एक सूत्र के अनुसार 2020 के राजस्थान के मुख्य मंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट विवाद कौन भूल सकता है। सचिन पायलट एक समय किसी की भी नहीं सुन रहे थे और ऐसी अटकलें थी कि वह कभी भी भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम सकते हैं। सचिन को मनाने में प्रियंका गांधी ने अहम भूमिका निभाई थी। इसी तरह जुलाई में नवजोत सिंह सिद्धू और कैप्टन अमरिंदर सिंह विवाद को संभालने और सिद्धू को पंजाब प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनवाने में वह काफी सक्रिय रही थी। हाल ही में छत्तीसगढ़ के मुख्य मंत्री भूपेश बघेल और स्वास्थ्य मंत्री टी.एस.सिंहदेव को मामले को ठंडा करने में भी उनकी भूमिका रही है। साफ है कि प्रियंका गांधी की भूमिका कांग्रेस में लगातार बढ़ रही है। और अब वह राष्ट्रीय राजनीति में कहीं ज्यादा खुल कर सामने आएंगी।
कांग्रेस को जोश की जरूरत
पार्टी में जिस तरह से कुर्सी के लिए तीन राज्यों में लड़ाई चल रही है। और वरिष्ठ नेता (G-23)भी खुलेआम नेतृत्व को चुनौती दे रहे हैं। और ज्योतिरादित्य सिंधिया, सुष्मिता देव, जितिन प्रसाद जैसे युवा नेताओं ने पार्टी का साथ छोड़ा है। ऐसे में इस समय पार्टी को मजबूत नेतृत्व की जरूरत है। ऐसे में प्रियंका गांधी का राष्ट्रीय राजनीति में सीधे तौर पर आना संकेत है कि पार्टी अब सभी तुरूप के इक्के अपनाकर अपने को मजबूत करना चाहती है। जिससे 2022 के विधान सभा चुनाव और 2024 के लोक सभा चुनावों में भाजपा को कड़ी टक्कर दे सके।
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