नई दिल्ली : चीन के समर्थन से जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 बहाल करने के अपने बयान पर राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री एवं नेशनल कॉन्फ्रेंस के मुखिया फारूक अब्दुल्ला विपक्षी दलों एवं हिंदूवादी संगठनों के निशाने पर आ गए हैं। अब्दुल्ला के इस बयान के खिलाफ जम्मू से लेकर दिल्ली तक प्रदर्शन हो रहे हैं। हिंदू सेना ने मंगलवार को चीनी दूतावास के बाहर प्रदर्शन किया और दूतावास के साइनबोर्ड पर फारूक की तस्वीरें लगाईं। हिंदू सेना का कहना है कि अब्दुल्ला ने चीन पर भरोसा जताया है इसलिए बीजिंग को पूर्व मुख्यमंत्री को अपने यहां ले जाना चाहिए।
जम्मू में डोगरा फ्रंट का प्रदर्शन
फारूक अब्दुल्ला के इस बयान के खिलाफ जम्मू में विरोध-प्रदर्शन हुए। यहां डोगरा फ्रंट ने अब्दुल्ला के खिलाफ रैली निकाली और संसद को उनके खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की। फ्रंट के एक सदस्य ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री एवं सांसद ने उकसाने वाला बयान दिया है। 'मेड इन चाइना' यहां नहीं चल सकता। फ्रंट के सदस्य ने कहा, 'इस बयान के लिए लोकसभा के स्पीकर को फारूक के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए। भारत विरोधी बयान देने वाले लोगों को संसद में प्रवेश की अनुमति नहीं होनी चाहिए।'
अब्दुल्ला ने अनुच्छेद 370 की बहाली की बात कही है
रविवार को एक समाचार चैनल से बात करते हुए फारूक अब्दुल्ला ने कहा, 'वे (चीन) लद्दाख में एलएसी पर जो कुछ भी कर रहे हैं, उसके पीछे अनुच्छेद 370 को निरस्त करना है। उन्होंने इस फैसले को कभी स्वीकार नहीं किया। मुझे उम्मीद है कि उनके समर्थन से जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को बहाल किया जाएगा।' इस बयान के लिए भाजपा ने फारूक की कड़ी आलोचना की।
भाजपा ने की कड़ी आलोचना
भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने सोमवार को कहा, 'फारूक अब्दुल्ला अपने इंटरव्यू में चीन की विस्तारवादी मानसिकता को न्यायोचित ठहराते हैं। वहीं दूसरी और एक देशद्रोही कमेंट करते हैं कि भविष्य में हमें अगर मौका मिला तो हम चीन के साथ मिलकर अनुच्छेद 370 वापस लाएंगे। सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक पर सवाल उठाकर राहुल गांधी पाकिस्तान में हीरो बनें थे। आज फारूक अब्दुल्ला चीन में हीरो बने हैं।'
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