कार में ड्राइवर सीट जैसे पीछे भी होगा Seat Belt Alarm, बोले केंद्रीय मंत्री- प्रावधान किया जा रहा

गडकरी के मुताबिक, "हालांकि, कार की पिछली सीट पर बैठने वालों के लिए सीटबेल्ट पहनना अनिवार्य है, लेकिन इसका पालन नहीं किया जाता है।"

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मंथन कार्यक्रम के दौरान अपनी बात रखते हुए केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी।  |  तस्वीर साभार: IANS
मुख्य बातें
  • कर्नाटक के बेंगलुरु में 'मंथन' के दौरान बोले नितिन गडकरी
  • दुखद कार एक्सिडेंट में मारे गए साइरस मिस्त्री का भी किया जिक्र
  • कहा- सीटबेल्ट पहनना अनिवार्य, पर पालन नहीं किया जाता

केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कहा है कि कार में पीछे की सीटों के लिए ड्राइवर की सीट की तरह ही सीट बेल्ट अलार्म सिस्टम (Seat Belt Alarm System) लगाने का प्रावधान किया जा रहा है। कर्नाटक के बेंगलुरु में शुक्रवार (नौ सितंबर, 2022) को मंथन नाम के प्रोग्राम में जो सड़कों के बुनियादी ढांचे और गतिशीलता में सुधार पर आयोजित एक सेशन के दौरान यह बात कही। उन्होंने इस दौरान चार पहिया वाहनों में यात्रा करते समय सीट बेल्ट पहनने और यात्री सुरक्षा पर खासा जोर दिया। 

मुंबई के पास पालघर जिले में हुए सड़क हादसे में मारे गए उद्योगपति व टाटा संस के पूर्व चेयरमैन साइरस मिस्त्री (कार की पिछली सीट पर बैठे थे और सीटबेल्ट नहीं पहने थे) की मौत का जिक्र करते हुए वह बोले, "मैंने इस संबंध में कानूनी प्रावधान किए हैं।" उनके अनुसार, "बॉलीवुड एक्टर अक्षय कुमार ने मिस्त्री की मौत की पृष्ठभूमि में एक अभियान शुरू करने के लिए मुझे लंदन से तीन बार फोन किया है।"

गडकरी के मुताबिक, "हालांकि, कार की पिछली सीट पर बैठने वालों के लिए सीटबेल्ट पहनना अनिवार्य है, लेकिन इसका पालन नहीं किया जाता है। अमिताभ बच्चन, अक्षय कुमार और कई क्रिकेटरों ने इसके लिए मुफ्त में प्रचार करने पर सहमति जताई है।"

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बेंगलुरू के लिए स्काईबस चाहते हैं गडकरी
गडकरी ने यह भी बताया कि केंद्र सरकार बेंगलुरु में सड़कों पर भीड़भाड़ कम करने के लिए स्काईबस शुरू करने और फ्लाईओवर बनाने को लेकर अध्ययन करेगा। बकौल केंद्रीय मंत्री, “बेंगलुरु में मौजूदा सड़कों को चौड़ा करना मुश्किल है। इसलिए, हमने दो निर्णय लिए हैं। हम जमीन का अधिग्रहण नहीं करेंगे, लेकिन हम थ्री-डेक या ग्रेड सेपरेटर का निर्माण करेंगे, जैसा कि चेन्नई में किया गया था।” 

केंद्रीय मंत्री ने कहा, “हम बिजली चालित सार्वजनिक परिवहन पर काम कर रहे हैं। तकनीक बहुत बदल गई है। बेंगलुरु में जमीन अधिग्रहण करना मुश्किल है। इसलिए, मैंने फिलीपीन और अन्य देशों की तरह स्काईबस के उपयोग का सुझाव दिया है।” (एजेंसी इनपुट्स के साथ)

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