नई दिल्ली: पुलवामा का वो दर्दनाक भीषण आत्मघाती हमला जिसके बाद भारत का सब्र जवाब दे गया और सीमा पार बैठे कई आतंक के आकाओं की जिंदगी की उल्टी गिनती शुरु हो गई। 2016 में भारत एक बार दिखा चुका था उरी हमले के बाद भारतीय सेना के पैरा कमांडो दिखा चुके थे कि अब आतंकवाद से निपटने की भारत की सोच अब बदल चुकी है लेकिन पुलवामा के बाद जरूरत थी इससे भी बड़ा झटका देना की और ऐसा ही किया भी गया।
एक साल पहले 14 फरवरी 2019 को दोपहर 3.30 बजे जम्मू-श्रीनगर हाईवे से सीआरपीएफ जवानों का काफिला पुलवामा जिले से होकर गुजर रहा था और इसी दौरान एक 20 साल के आत्मघाती आतंकी आदिल अहमद डार ने 350 किलो विस्फोटक से भरी एक कार सीआरपीएफ जवानों के ट्रक से टकरा दी।
भीषण धमाके से घाटी गूंज उठी, मंजर बेहद खौफनाक और भयानक था। घायलों को अस्पताल भेजना और शव उठाना शुरु हुआ तो पता चला कि विस्फोट में जवानों के शरीर टुकड़े होकर इधर उधर बिखर गए हैं। यह भारत के सुरक्षाबलों पर हुए सबसे बड़े हमले में से एक था। पूरा देश गुस्से से भर गया और मोदी सरकार एक्शन में आ गई।
40 सीआरपीएफ जवानों की शहादत, जैश ने ली जिम्मेदारी: पुलवामा के आतंकी हमले में 40 केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के जवानों ने अपनी जान गंवाई। 2016 में जम्मू कश्मीर के उड़ी सेक्टर में सैन्य कैंप पर हमले के बाद 2019 में भारतीय सुरक्षाबलों को निशाना बनाते हुए यह दूसरा बड़ा हमला किया गया था। आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने इस हमले की जिम्मेदारी ली।
शुरु हुआ बैठकों का दौर: गृह मंत्रालय सहित तमाम सुरक्षा अधिकारियों और सेना प्रमुखों की बैठक का दौर शुरु हो गया। आतंकियों के नापाक मंसूबे से निपटने और करारा जवाब देने को लेकर बातें होने लगीं। भारत ने दुनिया भर के देशों को स्पष्ट कर दिया कि वह अपने ऊपर हुए हर हमले का जवाब देने का अधिकार रखता है। विदेशों से संपर्क साधे जाने लगे और देश में मोदी सरकार एक्शन की योजना में जुट गई।
'बहुत बड़ी गलती की बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी': प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनसभाओं और अलग अलग मौकों पर हमले के बाद ही साफ कर दिया कि सीआरपीएफ के जवानों की शहादत ज़ाया नहीं होगी। उन्होंने कई बेहद सख्त बयान दिए। जैसे- 'आतंकवादी बहुत बड़ी गलती कर चुके हैं, उन्हें इसकी बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी।' एक जनसभा में बोले- 'जो आपके दिल में है, वही रोष मेरे दिल में भी है।' फिर एक मौके पर बोले- 'देश की आंखें नम हैं, हर आंसू का बदला लिया जाएगा। उन लोगों को बख्शा नहीं जाएगा जो गोलियां चलाते हैं और सैनिकों पर हमले के लिए हथियार और बम देते हैं।'
सिंधु जल समझौता, प्रतिबंध लगाने पर बात: पाकिस्तान ने जैश-ए-मोहम्मद के उन आतंकियों को शरण दे रखी है जो भारत में हमले की साजिश रचते हैं। ऐसे में पाकिस्तान के खिलाफ कदम उठाए जाने की बात होने लगी। सिंधु जल समझौते से अलग होने के बारे में कुछ बयान आए कि भारत पाकिस्तान का पानी रोक देगा। साथ ही प्रतिबंध लगाने की भी मांगें उठीं।
असमंजस में पाकिस्तान: पाकिस्तान को भारत में आ रही प्रतिक्रियाओं और उरी हमले के बाद इतना तो अंदाजा था कि भारत कोई कदम उठाएगा लेकिन यह कदम क्या होगा? किस तरह की और कितने बड़े स्तर की सैन्य कार्रवाई होगी? इस बात को लेकर असमंजस की स्थिति थी।
मिराज 200 को मिली हमले की जिम्मेदारी: भारत ने तय किया कि वह इस बार हवाई ताकत का इस्तेमाल करेगा और पीओके नहीं बल्कि पाकिस्तान की सीमा के अंदर बैठे आतंकियों के ट्रेनिंग कैंप को निशाना बनाया जाएगा। भारतीय वायुसेना के उस विमान को बम गिराने की जिम्मेदारी मिली जो कारगिल युद्ध में पहले ही अपनी सटीक निशाना लगाकर दुश्मन के ठिकाने को बर्बाद करने की क्षमता कई बार साबित कर चुका था। मिराज 2000 विमान को बालाकोट में बम गिराने का मिशन सौंपा गया। इसके लिए मिराज की स्क्वाड्रन ग्वालियर से फॉरवर्ड एयरबेस पर पहुंची।
पाकिस्तान को वायुसेना ने दिया चकमा: मिराज 2000 विमानों के पाकिस्तान में दाखिल होने से पहले भारत के सुखोई और अन्य लड़ाकू विमानों ने सीमा और एलओसी से सटे अलग अलग इलाकों में उड़ना शुरु कर दिया। इस बीच पाकिस्तान वायुसेना भ्रम में पड़ गई।
ध्वस्त हुआ बालाकोट का आतंकी अड्डा: बेहद तेज गति से भारतीय वायुसेना के मिराज विमान पाकिस्तान में घुसे और पाकिस्तान के खैबर पख्तून प्रांत में बालाकोट स्थित जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी ट्रेनिंग कैंप को बर्बाद कर दिया। इस दौरान कथित तौर पर इजरायली स्पाइस 2000 बम का इस्तेमाल किया गया। इससे पहले पाकिस्तान कुछ समझ पाता सभी पायलट अपने विमानों के साथ सुरक्षित भारतीय सीमा में आ गए।
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