Pulwama Attack: पुलवामा हमले के बाद खौल उठा था गांधीवादी अन्ना हजारे का भी खून 

देश
नवीन चौहान
Updated Feb 14, 2020 | 08:54 IST

पूरा देश आज पुलवामा आतंकी हमले में पिछले साल 14 फरवरी को शहीद हुए जवानों को श्रद्धांजलि दे रहा है। इस दुर्दांत आंतकी हमले के बाद पूरे देश के लोगों का खून बदला लेने के लिए खौल गया था।

Pulwama terror attack Anna Hazare
Pulwama terror attack Anna Hazare 

नई दिल्ली: 14 फरवरी के दिन को पूरी दुनिया वेलेंटाइन्स डे यानी प्रेम के दिन के रूप में मनाती है। लेकिन एक साल पहले इसी दिन पूरी दुनिया ने  जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान की भारत के खिलाफ नफरत और क्रूर हरकत देखी थी। पाकिस्तान पोषित आतंकवादियों ने सीआरपीएफ के काफिले पर फिदाइन हमला कर दिया था जिसमें 40 जवान शहीद हो गए थे। 20 साल का कश्मीरी युवक आदिल अहमद डार 350 किलो विस्फोटक से भरी कार को लेकर सीआरपीएफ के काफिले पर जा भिड़ा था। इस हमले की जिम्मेदारी आतंकी संगठन जैश ए मोहम्मद ने ली थी। 

श्रीनगर जम्मू कश्मीर हाइवे पर ये हमला हुआ था।  आत्मघाती हमला इतना घातक था कि बस में सवार जवानों के शरीर को चीथड़े उड़ गए थे। जवानों की पहचान कर पाना भी मुश्किल हो गया था। ऐसे में परिजनों के डीएनए सैंपल की मदद से शवों की पहचान की गई। इस हमले के खबर मिलते ही सारे देश में शोक की लहर दौड़ पड़ी थी हर कोई जवानों के परिवार को हाल जानने को बेकरार था। लोगों को खून खौल उठा था और हर कोई पाकिस्तान से बदला लेने की बात कर रहा था। 

इन लोगों में भारतीय सेना के पूर्व जवान किशन बाबूराव हजारे या कहें देश के दूसरे गांधी के नाम से विख्यात अन्ना हजारे भी शामिल थे। अन्ना हजारे भारत के लिए पाकिस्तान के खिलाफ हुए 1965 में हुए युद्ध में शामिल रहे थे। वो खेमकरण सेक्टर में तैनात थे। युद्ध के दौरान उनके सिर में गहरी चोट आई थी। उनके सारे साथी वहां शहीद हो गए थे और वो अकेले जीवित बचे थे। ऐसे में पुलवामा हमले ने 81 साल के अन्ना का खून खौल उठा था। 

अन्ना ने पुलवामा में हुए आतंकी हमले के बाद बेहद दुखी थे। आतंकियों की कायराना हरकत पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो वो अपने देश की सेना के लिए फिर से ट्रक चालक की भूमिका निभा सकते हैं। उन्होंने बढ़ती उम्र का तकाजा देते हुए कहा था कि बेशक बुजुर्ग होने के कारण मैं बंदूक नहीं उठा सकता लेकिन सेना का ट्रक चलाने की ताकत अभी भी उनके अंदर है और अगर जरुरत पड़ी तो मैं देश के लिए लड़ने वाले अपने सैनिकों को लड़ाई के मैदान तक पहुंचाने के लिए निश्चित रुप से वाहन चला सकता हूं। 

अन्ना हजारे साल 1960 में भारतीय सेना में एक ट्रक चालक के रुप में भर्ती हुए थे। 1965 में भारत- पाकिस्तान युद्ध के दौरान वह खेमकरन सेक्टर में तैनात थे।


 

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