नई दिल्ली: नवजोत सिंह सिद्धू ने मंगलवार दोपहर को पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया। इसके बाद तो जैसे इस्तीफों की झड़ी लग गई। संगठन से लेकर सरकार तक में से इस्तीफे होने लगे। पंजाब कांग्रेस में अब तक 6 इस्तीफे हो गए। सिद्धू के बाद गुलजार इंदर चहल ने पंजाब कांग्रेस के कोषाध्यक्ष का पद छोड़ा।
इसके बाद कैबिनेट मंत्री रजिया सुल्ताना ने भी इस्तीफा दे दिया। फिर मंत्री परगट सिंह ने इस्तीफा दिया। इसके बाद योगिंदर ढींगरा ने नवजोत सिंह सिद्धू के समर्थन में पंजाब कांग्रेस के महासचिव के रूप में इस्तीफा दिया। गौतम सेठ ने भी पंजाब कांग्रेस के महासचिव (प्रभारी प्रशिक्षण) के पद से इस्तीफा दिया।
कांग्रेस विधायक सुखपाल सिंह खैरा ने कहा कि उन्होंने (नवजोत सिंह सिद्धू) पंजाब में भ्रष्टाचार के खिलाफ स्टैंड लिया था। अगर उनके सुझावों पर ध्यान नहीं दिया गया, तो वे गूंगे अध्यक्ष नहीं बनना चाहेंगे। हम उनसे इस्तीफा वापस लेने और उनकी शिकायतों के निवारण के लिए आलाकमान से अनुरोध करते हैं।
सिद्धू ने खत लिखकर अपने पद से इस्तीफा दिया। सूत्रों के मुताबिक मंत्रिमंडल में अपने करीबियों को शामिल नहीं किए जाने से सिद्धू नाराज हैं। जैसा कि सिद्धू ने अपने इस्तीफे की पहली लाइन में लिखा कि समझौता करने से आदमी के चरित्र का पतन होता है। ऐसे में ये माना जा रहा है कि सिद्धू अपने मन के लोगों को मंत्री ना बनाए जाने से नाराज हैं। सिद्धू के इस्तीफे के बाद कैप्टन अमरिंदर सिंह ने ट्वीट कर कहा कि मैंने कहा था वो स्थिर आदमी नहीं है और सीमावर्ती राज्य पंजाब के लिए वो सही नहीं है।
सिद्धू का राजनीतिक सफर
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