सवालों के घेरे में विश्व का सर्वोच्च स्वास्थ्य संगठन, क्या कोरोना को लेकर WHO ने चीन से की थी मिलीभगत?

देश
किशोर जोशी
Updated May 14, 2020 | 16:19 IST

WHO and Covid 19: पूरा विश्व जब इस समय कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में एकजुट है तो ऐसे समय में दुनिया की सर्वोच्च स्वास्थ्य संस्था विश्व स्वास्थ्य संगठन पर सवालिया निशान लग रहे है।

Questions raised on the world's highest health organization WHO after coronavirus pandemic
तो कोरोना को लेकर WHO और चीन में थी मिलीभीगत! देरी से चेतावानी जारी करने को लेकर उठे सवाल 
मुख्य बातें
  • कोरोना को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन की भूमिका पर भी लगातार सवाल खड़े हो रहे हैं
  • जर्मनी के एक समाचार पत्र 'डेर स्पीगल' ने लगाए डब्ल्यूएचओ पर बड़े आरोप
  • आरोपों के मुताबिक, चीन के आग्रह पर डब्ल्यूएचओ ने कोरोना पर देरी से जारी की थी चेतावनी

नई दिल्ली: विश्व के लगभग सभी देशों में फैल चुके कोरोना वायरस की वजह करीब ढ़ाई लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है और तकरीबन 40 लाख से अधिक लोग इसकी चपेट में आ चुके हैं। विश्व की बड़ी-बड़ी अर्थव्यवस्थाएं तबाह हो चुकी है। चीन के वुहान शहर से निकलकर यह वायरस जितनी तेजी से पूरी दुनिया में फैला शायद ही किसी ने उसकी कल्पना की होगी।  कोरोना के बढ़ते मामलों को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन की भूमिका पर भी लगातार सवाल खड़े हो रहे हैं। डब्ल्यूएचओ पर आरोप है कि उसने इस वायरस को लेकर देरी से चेतावनी जारी की थी।

जर्मनी की रिपोर्ट में डब्ल्यूएचओ पर लगे गंभीर आरोप
हाल ही में जर्मनी के एक समाचार पत्र 'डेर स्पीगल' ने बड़ा खुलासा करते हुए दावा किया कि चीन ने कोरोना वायरस को लेकर डब्ल्यूएचओ को वैश्विक चेतावनी जारी करने में देरी का आग्रह किया था। इस आर्टिकल के मुताबिक चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने खुल विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुखिया टेड्रोस एडहैनम को कॉल कर कहा कि कोरोना को लेकर देर से चेतावनी जारी करें। पत्रिका ने अपनी रिपोर्ट का आधार फेडरल इंटजीलेंस सर्विस से मिली जानकारी को बनाया है।

डब्ल्यूएचओ ने खारिज की रिपोर्ट
जर्मनी के अखबार की इस रिपोर्ट को डब्ल्यूएचओ ने सिरे से खारिज किया है। डब्ल्यूएचओ ने बयान जारी करते हुए कहा है कि ऐसी खबरें भ्रामक हैं जो कोरोना से महामारी से लड़ने में संगठन के मनोबल को कम करती हैं। डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि यह रिपोर्ट पूरी तरह से बेबुनियाद और भ्रामक है। बयान में कहा गया है कि 20 जनवरी को ही कोरोना वायरस के इंसान से इंसान में संक्रमण फैलने की खबर दे दी थी।

ट्रंप लगातार लगा रहे हैं आरोप
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पिछले काफी समय से कह रहे हैं कि कोरोना वायरस के संक्रमण को लेकर डब्ल्यूएचओ ने विश्व के सामने झूठ बोला और जानकारी छिपाई। ट्रंप ने कहा था कि यह संगठन चीनी प्रचार तंत्र का एक हथियार है और वह डब्ल्यूएचओ को अमेरिका से दी जाने वाली मदद पर भी रोक लगा रहे हैं।

डब्ल्यूएचओ पर आरोप कितने सही
हम जर्मनी के अखबार के आरोपों के इतर देखें तो विश्व स्वास्थ्य संगठन की भूमिका वाकई सवालों के घेरे में है। पूरी दुनिया जानती है कि कोरोना की उत्पत्ति चीन के वुहान शहर से हुई लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रमुख टेड्रोस एडहानोम चीन को क्लीन चिट देते हुए आए हैं। चीन की भूमिका पर सवाल तो दूर खुद डब्ल्यूएचओ चीन की तारीफ कर एक तरह से उसका बचाव कर रहा है। 

अमेरिका सहित कई देश लगातार दावा कर रहे हैं कोरोना संक्रमण एक जैविक वायरस नहीं है बल्कि यह मानव जनित रासायनिक वायरस है लेकिन अभी तक डब्ल्यूएचओ इसे जैविक वायरस ही बता रहा है। काफी आलोचनाओं के बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन ने माना कि कोरोना के फैलने में वुहान के वेट मार्केट् के हाथ होने की संभावना को नकारा नहीं जा सकता है लेकिन इस विषय पर अभी भी शोध करने की जरूरत है। 

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