नई दिल्ली: भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में चीन के साथ चल रही तनानती के बीच बीच अब लद्दाख के आसमान राफेल लड़ाकू विमानों ने उडान भरना शुरू कर दिया है। टाइम्स ऑफ इंडिया के रक्षा सूत्रों के मुताबिक, पांच राफेल, जिन्हें औपचारिक रूप से 10 सितंबर को अंबाला एयरबेस में सेवा में शामिल किया गया था, उन्होंने हाल के दिनों में लद्दाख के कुछ इलाकों में उड़ान भरी है। एक सूत्र ने बताया, 'राफेल पायलटों ने अंबाला से लद्दाख तक विमानों को उड़ाया है ताकि वे वहां के परिचालन वातावरण से परिचित हो सकें।'
अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस है राफेल
मिडएयर रीफ्यूलिंग के बिना, 4.5-पीढ़ी के अत्याधुनिक राफेल्स की सीमा 780-किमी से 1,650 किमी तक होती है, जो उनके मिशन की प्रकृति पर निर्भर करता है। इसके अलावा, इन लड़ाकू विमानों को 300 किलोमीटर से अधिक लंबी दूरी की मारक क्षमता वाले `स्कैल्प 'एयर-टू-ग्राउंड क्रूज़ मिसाइलों जैसे लंबे स्टैंड-ऑफ हथियारों से लैस किया गया है। पांच राफेल, 29 जुलाई को फ्रांस से अंबाला बेस पहुंचे थे बाद में उन्हें एक औपचारिक समारोह के दौरान वायुसेना में शामिल किया गया। इन विमानों ने उसके बाद हिमाचल प्रदेश में पहाड़ी एक सहित विभिन्न इलाकों में दिन और रात एक अभ्यास के तौर पर उड़ान भरी थी।
20 चोटियों पर कब्जा
वहीं भारत ने अब रणनीतिक रूप से बेहद अहम माने जाने वाली 20 चोटियों पर कब्जा कर लिया है। इसके बाद भारत की स्थिति चीन के मुकाबले मजबूत हो गई है। सूत्रों के मुताबिक भारत ने पैंगोंग झील के करीब टकराव वाले स्थानों के आसपास 20 से अधिक पर्वत चोटियों पर अपने वर्चस्व को और मजबूत कर लिया है। दरअसल 29 और 30 अगस्त की रात जब चीनी सेना ने पैंगोंग लेक इलाके में घुसपैठ की कोशिश की थी तो भारतीय सेना ने उसे नाकाम कर दिया था। इसके बाद भारत ने सावधानी बरतते हुए कई अन्य चोटियों को नियंत्रण में ले लिया था।
आज होनी है बैठक
सीमा पर तनाव को कम करने के लिए भारत और चीन की सेनाओं के बीच कोर कमांडरों के बीच आज छठे दौर की वार्ता होनी है। इसमें मुख्य रूप से पूर्वी लद्दाख में दोनों देशों के सौनिकों को पीछे हटाना और तनाव घटाने पर बनी पांच सूत्री सहमति के क्रियान्वयन पर मुख्य रूप से ध्यान केंद्रित किया जाएगा। पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) से चीन की ओर मोल्दो में सुबह नौ बजे यह वार्ता शुरू होने वाली है।
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