नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा के बाद राज्यसभा में भी कांग्रेस और राहुल गांधी पर तीखा हमला किया। पीएम ने राहुल गांधी का नाम लिये बिना उनके इस बात पर प्रहार करते हुए कहा कि कई सदस्यों ने लोकतंत्र पर खतरे की बात कही लेकिन वह यह भूल गए कि यह लोकतंत्र उनकी मेहरबानी से नहीं है। इसके अलावा उन्होंने कई मुद्दों पर कांग्रेस और राहुल को घेरा। इसके बाद राहुल गांधी ने पीएम के वार का पटवार किया। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि उन्होंने (पीएम मोदी ने संसद में अपने भाषण के दौरान) मेरे सवालों का जवाब नहीं दिया। हमें चीन और पाकिस्तान के मुद्दे को गंभीरता से लेने की जरुरत है। मेरे परनाना ने देश की सेवा की, मुझे किसी के सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं है। सच बोलने पर बीजेपी कांग्रेस से डरती है।
उन्होंने संसद परिसर में मीडिया से कहा कि वह कांग्रेस डरते हैं, उन्हें घबराहट है क्योंकि कांग्रेस सच्चाई बोलती है। उनका पूरा मार्केटिंग का धंधा है, उनके रिश्ते हैं, उनके मित्र हैं, झूठ फैलाया जा रहा है। ऐसे में उनके अंदर डर तो होगा ही। राहुल गांधी ने कहा कि प्रधानमंत्री का पूरा भाषण कांग्रेस के बारे में, जवाहरलाल नेहरू बारे में था। मगर बीजेपी ने जो किया उसके बारे में प्रधानमंत्री ने कुछ नहीं बोला। कुछ न कुछ तो है, कोई न कोई डर तो है।
राहुल गांधी ने कहा कि मैंने तीन चीजें कहीं थी। पहली बात यह कि दो हिंदुस्तान बनाए जा रहे हैं जिनमें से एक करोड़ों लोगों के लिए है और दूसरा कुछ अमीर लोगों के लिए है। दूसरी बात मैंने कही थी कि एक के बाद एक हमारी सभी संस्थाओं पर कब्जा किया जा रहा है जिससे देश का नुकसान हो रहा है। तीसरी बात यह कही थी कि प्रधानमंत्री जी की दिवालिया विदेश नीति के चलते चीन और पाकिस्तान एक हो गए हैं हैं जो देश के लिए बहुत खतरनाक चीज है। प्रधानमंत्री ने इन तीनों बातों का जवाब नहीं दिया। उन्होंने कहा कि मैंने पहले कहा था कि कोविड से खतरा है तो किसी ने मेरी बात नहीं मानी, प्रधानमंत्री ने भी नहीं मानी। अब मैंने सदन में बोला है कि चीन और पाकिस्तान से खतरा है, इसे गंभीरता से लेना चाहिए, यह मजाक नहीं है। बाकी के दोनों मुद्दों को भी गंभीरता से लेना चाहिए।
प्रधानमंत्री ने राज्यसभा में कहा कि कांग्रेस जब तक सत्ता में रही तो उसने देश का विकास नहीं होने दिया और आज जब विपक्ष में है तो वह देश के विकास में बाधा डाल रही है। राहुल गांधी के 'भारत राष्ट्र नहीं है और यह राज्यों का संघ है' वाले बयान की ओर इंगित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि अब तो कांग्रेस को भारत के लिए राष्ट्र पर भी आपत्ति है। उन्होंने कहा कि यह कल्पना गैर संवैधानिक है।
उन्होंने सवालिया अंदाज में कहा कि कांग्रेस को राष्ट्र शब्द से इतनी ही आपत्ति है तो उसने अपने दल के नाम में राष्ट्रीय क्यों रखा है। उन्होंने कहा कि तो आपकी पार्टी का नाम इंडियन नेशनल कांग्रेस क्यों रखा गया है। आपको नई सोच आई है तो इंडियन नेशनल कांग्रेस नाम बदल दीजिए और फेडरेशन ऑफ कांग्रेस कर लीजिए। अपने पूर्वजों की गलती को सुधार दीजिए।
प्रधानमंत्री ने कहा कि जब किसी पार्टी में कोई एक परिवार सर्वोपरि हो जाता है तो इसका सबसे पहला नुकसान प्रतिभा का होती है। प्रधानमंत्री ने सभी राजनीतिक दलों से अपने-अपने राजनीतिक दलों में लोकतांत्रिक आदर्शों व मूल्यों को विकसित करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि हिंदुस्तान की सबसे पुरानी पार्टी के रूप में कांग्रेस को तो इसकी जिम्मेवारी जरूर उठानी चाहिए।
उन्होंने कहा कि अगर कांग्रेस ना होती तो आपातकाल का कलंक ना होता। अगर कांग्रेस ना होती तो दशकों तक भ्रष्टाचार को संस्थागत बनाकर नहीं रखा जाता। अगर कांग्रेस ना होती तो जातिवाद और क्षेत्रवाद की खाई इतनी गहरी ना होती। अगर कांग्रेस ना होती तो सिखों का नरसंहार ना होता। सालों साल पंजाब आतंकवाद की आग में ना जलता। कश्मीर के पंडितों को कश्मीर छोड़ने की नौबत ना आती है। अगर कांग्रेस ना होती तो बेटियों को तंदूर में जलाने की घटनाएं ना होती। अगर कांग्रेस ना होती देश के सामान्य जन को सड़क, बिजली, पानी और शौचालय की मूलभूत सुविधाओं के लिए इतने सालों तक इंतजार ना करना पड़ता है।
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