Dhakad Exclusive : राहुल गांधी रैलियों में उंगलियों पर 10 गिनते हैं और कहते हैं कि किसानों की कर्जमाफी उनके लिए बस इतना सा ही काम है लेकिन कांग्रेस शासित राजस्थान में ही किसान की जमीन नीलाम हो रही है। किसान किसान करते हैं और किसानों को धोखा देते हैं। ये बात कांग्रेस की सरकार वाले राज्य राजस्थान के किसान कह रहे हैं। राहुल गांधी उंगली पर गिनकर कर्ज माफी का दावा ठोकते हैं तो राजस्थान के दौसा में 7 लाख रुपये के कर्ज के लिए एक किसान की जमीन नीलाम कर दी जाती है।
सिर्फ 23 दिन पहले की बात है जब राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राष्ट्रीय बैंकों को किसानों का लोन माफ करने का प्रस्ताव भेजा। प्रस्ताव ये था कि जैसे SBI ने किसान के लोन का 90 फीसदी पैसा माफ किया उसी तरह बाकी के राष्ट्रीय बैंक किसानों का कर्ज माफ करें और किसान के हिस्से का बाकी 10 प्रतिशत कर्ज राज्य सरकार भरने को तैयार है।
हकीकत ये है। दौसा के इस किसान परिवार की जमीन नीलाम हो गई। दर दर की ठोकरें खाने के अलावा इनके पास खाने को कुछ नहीं बचा। ये कहते हैं कि इनके पास विकल्प है तो सिर्फ आत्महत्या का। परिवार मजबूर है। उनके सामने चुनौती है कि बिना जमीन वो परिवार का पालन पोषण कैसे करे।
किसानों की कर्ज माफी का वादा चुनाव के दौरान हर पार्टी करती है। हर भाषण में किसान के विकास का जिक्र होता है लेकिन हकीकत वाकई दर्दनाक है। राजूलाल और पप्पूलाल राजस्थान के दौसा जिले के रामगढ़ पचवारा में अपनी जमीन पर खेती किया करते थे लेकिन मंगलवार को कुछ अधिकारी उनके गांव आए। लिखा पढ़ी की और उनकी जमीन को नीलाम कर दिया। पूरा परिवार अब तक सदमे में है।
राजूलाल और पप्पूलाल के पिता कजोड़ मीणा ने रामगढ़ पचवारा के राजस्थान मरुधरा ग्रामीण बैंक से किसान क्रेडिट कार्ड स्कीम के तहत लोन लिया था और वर्ष 2017 के बाद 7 लाख रुपये से अधिक का कर्ज नहीं चुका पाया। बैंक ने नीलामी का नोटिस भी दिया लेकिन आर्थिक तंगी की वजह से लोन वापस नहीं कर पाया और कुछ समय बाद लोन लेने वाले किसान कजोड़ मीणा की मृत्यु हो गई।
पिता की मौत के बाद बैंक का नोटिस मृतक किसान के बेटों राजूलाल और पप्पूलाल के नाम आने लगे। दोनों बेटों की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं थी कि वो कर्ज चुका सके। एक उम्मीद थी गहलोत सरकार से कि वादे के मुताबिक कर्ज माफ हो जाएगा लेकिन ऐसा हुआ नहीं और जमीन नीलाम हो गई। राजूलाल और पप्पूलाल के सामने आज सबसे बड़ी चुनौती है कि वो परिवार का पेट कैसे भरें।
उनके पास 15 बीघा 2 बिसवा जमीन थी जिस पर वो खेती करते थे। उनकी ये जमीन 46 लाख 51 हजार रुपये में नीलाम हुई। नीलामी का आदेश रामगढ़ पचवारा SDM कार्यालय की ओर से जारी किया गया। किसान की जमीन की नीलामी की प्रक्रिया तहसील कार्यालय में पूरी हुई।
किसान के बेटों की आत्महत्या वाली बात राजस्थान में आग की तरह फैली, बात विपक्ष में बैठी बीजेपी तक पहुंची। बीजेपी ने किसान की पुकार राजस्थान की कांग्रेस सरकार तक पहुंचाई।
राजस्थान सरकार का कहना है कि जिन किसानों की जमीन नीलाम हो रही है वो कर्जमाफी के नियमों से बाहर हैं। कर्जमाफी सिर्फ 2 लाख रुपये तक ही हुई है। यानी सरकार ने ऐलान कर दिया कि 2 लाख से अधिक जिन किसानों पर बैंक का कर्ज बाकी है। वो नीलामी के लिए तैयार रहें।
केन्दीय मंत्री स्मृति ईरानी और पीयूष गोयल ने राजस्थान के दौसा में किसान की नीलाम हुई जमीन को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है और कहा है कि किसानों के प्रति राजस्थान सरकार ने क्रूरता की हद पार कर दी है।
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