नई दिल्ली: राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने आखिरकार विधानसभा का सत्र बुलाने की मंजूरी दे दी है। राज्यपाल ने 14 अगस्त से विधानसभा सत्र बुलाने के आदेश जारी किए हैं। राज्यपाल ने अपने आदेश में यह भी निर्देश दिया है कि विधानसभा सत्र के संचालन के दौरान कोविड 19 के प्रसार को रोकने के लिए जारी दिशानिर्देशों के अनुसार सभी उपाय किए जाएं। इससे पहले राज्यपाल कलराज मिश्र ने विधानसभा बुलाने का राज्य सरकार का प्रस्ताव तीन बार लौटाया है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा था कि वे राज्यपाल से मिलेंगे और जानेंगे कि वह क्या चाहते हैं। विधानसभा सत्र बुलाने का नोटिस 21 दिन का हो या 31 दिन का, जीत हमारी ही होगी। इसके बाद गहलोत बुधवार को दोपहर में राज्यपाल मिश्र से मिलने राजभवन पहुंचे।
बुधवार शाम को राजस्थान सरकार ने एक बार फिर राज्यपाल के पास विधानसभा का सत्र बुलाने का प्रस्ताव भेजा। राजस्थान सरकार में मंत्री प्रताप खाचरियावास ने कहा, 'हमने फिर से एक प्रस्ताव भेजकर राज्यपाल कलराज मिश्र को विधानसभा सत्र बुलाने की मांग की है। हमें उम्मीद है कि राज्यपाल इस बार प्रस्ताव को स्वीकार करेंगे और जल्द सत्र शुरू करने की तारीख की घोषणा करेंगे।'
विधानसभा का सत्र बुलाने का प्रस्ताव तीसरी बार लौटने पर राज्यपाल ने राजस्थान में कोविड-19 के बढ़ते मामलों को लेकर आपत्ति उठाई और फिर से जानना चाहा है कि विशेष सत्र के दौरान विधानसभा में सोशल डिस्टैंसिंग कैसे रखी जाएगी। गहलोत ने कांग्रेस कार्यालय में आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि राजस्थान के राज्यपाल की तरफ से एक प्रेम पत्र आया है। उन्होंने मुलाकात से पहले पार्टी कार्यालय में कहा, मैं उनसे मिलने जा रहा हूं और पूछूंगा कि वह क्या चाहते हैं। मुख्यमंत्री ने राज्यपाल के इंकार को दूसरी बार प्रेम पत्र कहा।
उन्होंने कहा कि 70 सालों में पहली बार किसी राज्यपाल ने इस तरह के सवाल उठाए हैं। क्या आप समझ सकते हैं कि देश कहां जा रहा है?
राज्यपाल पेश कर रहे खतरनाक मिसाल : अहमद पटेल
विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने के अनुरोध को लेकर राजस्थान के राज्यपाल और अशोक गहलोत सरकार के बीच चल रही तकरार पर कांग्रेस नेता अहमद पटेल ने कहा कि इससे एक खतरनाक मिसाल कायम हो सकती है। उन्होंने कहा, 'हमारे इतिहास में ऐसा शायद पहली बार देखने को मिल रहा है कि एक राज्यपाल निर्वाचित मुख्यमंत्री के अनुरोध और परामर्श के बावजूद विधानसभा का सत्र बुलने के इच्छुक नहीं हैं।' पटेल ने चेताया कि इससे संवैधानिक गतिरोध पैदा हो सकता है और देश के लोकतांत्रिक इतिहास में एक बुरी मिसाल कायम हो सकती है। उन्होंने कहा कि अगर ऐसी खतरनाक मिसाल कायम करने दी गई तो तब क्या होगा, अगर राष्ट्रपति केंद्रीय कैबिनेट की सिफारिश के बावजूद संसद का सत्र बुलाने से इनकार कर दें?
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