नई दिल्ली। कृषि बिल के विरोध में विपक्षी दलों ने संसद परिसर में विरोध किया। खास तौर से सेव फार्मर्स, सेव वर्कर्स के जरिए विरोध जताया गया। इस मौके पर राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद, टीएमसी के डेरेक ओ ब्रायन और एनसीपी के प्रफुल्ल पटेल शामिल रहे। संसदीय कार्य राज्यमंत्री वी मुरलीधरन ने कहा कि सरकार ने संसद के दोनों सदनों की कार्यवाही को अनिश्चित काल तक के लिए स्थगित करने की सिफारिश की है।
संसद परिसर में एक बार फिर कृषि बिल के खिलाफ आवाज
राज्यसभा के उपसभापति ने अपने एक दिन के अनशन को तोड़ दिया है। दरअसल वो कृषि बिल के दौरान सांसदों के आक्रामक व्यहार से व्यथित थे। जब राज्यसभा में हंगामा करने वाले आठ सांसदों को निलंबित किया गया तो वो संसद परिसर में धरने पर बैठने के साथ रतजगा किए थे। मंगलवार को उपसभापति सुबह सुबह चाय लेकर सांसदों तक पहुंचे। लेकिन निलंबित सांसदों मे न सिर्फ चाय पीने से इंकार कर दिया बल्कि कहा कि एक तरफ तो उपसभापति किसानों के हित के खिलाफ बिल में सहभागी हुए और दूसरी तरफ रिश्ता निभा रहे हैं। सांसदों के इस तरह के व्यवहार से खफा उपसभापति ने एक दिन के उपवास का फैसला किया था।
उपसभापति के निर्णय को पीएम ने सराहा था
पीएम नरेंद मोदी मे उपसभापति के चाय देने वाली तस्वीर पर कहा था कि यही तो भारतीय लोकतंत्र की खूबसूरती है एक तरफ सदन में गरमागरमी होती है, लेकिन सदन के बाहर वो भीतर वाली कटूता दूर हो जाती है। लेकिन जिस तरह से सांसदों का व्यवहार था उसे उचित नहीं कहा जा सकता है। उपसभापति हरिवंश ने भी एक खत के जरिए पीड़ा का व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि वो तो सामान्य इंसान हैं, लेकिन जिस जरह से आसन की मर्यादा को भंग किया गया उससे वो आहत हैं।
रामदास अठावले ने कड़ी कार्रवाई की मांग की
इन सबके बीच केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने कहा कि सदन के अंदर जो सांसद नियमों और कानूनों की अवहेलना करते हैं उनके खिलाफ कार्रवाई के लिए कुछ व्यवस्था होनी चाहिए। सांसद अपनी बात रख सकते हैं, विरोध कर सकते हैं। लेकिन कोई मर्यादा नहीं तोड़ सकता। राज्यसभा में कृषि बिल पर जिस तरह से हंगामा किया गया उसे किसी भी रूप में सही साबित नहीं ठहराया जा सकता है।
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