नई दिल्ली: रक्षा क्षेत्र में 'मेक इन इंडिया' पहल को मजबूत करने की दिशा में सरकार ने एक अहम कदम उठाया है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आज डीआरडीओ भवन, नई दिल्ली में प्रमुख उपकरणों/ प्लेटफॉर्मों की तीसरी सकारात्मक स्वदेशीकरण सूची जारी की। इस मौके पर रक्षा मंत्री ने भारतीय उद्योग जगत को डीआरडीओ विकसित काउंटर ड्रोन सिस्टम के प्रौद्योगिकी दस्तावेजों के हस्तांतरण सौंपा। जिन उद्योग जगत को ये दस्तावेज दिए गए उनमें अडाणी डिफेंस सिस्टम्स, लार्सन एंड टुब्रो, एस्ट्रा माइक्रोवेव शामिल हैं।
काउंटर ड्रोन सिस्टम अपने कई सेंसर्स की वजह से एयरबोर्न ड्रोन्स को ना केवल डिटेक्ट कर सकता है बल्कि इसे ट्रैक कर इसकी पहचान भी कर सकता है और जानकारी को ट्रांसफर कर सकता है। इतना ही नहीं यह सिस्टम यह डिटेक्ट कर इसे खत्म भी कर सकता है। इसके लिए ड्रोन की मदद रडार और आरएफ बेस्ड डिटेक्शन सिस्टम करता है।
राजनाथ सिंहने उन प्रमुख उपकरण/क्षेत्र वाली तीसरी सूची जारी की जिनका दिसंबर 2025 तक पूरी तरह से स्वदेशीकरण किया जाना है। 101 वस्तुओं की पहली सूची और 108 वस्तुओं की दूसरी सूची के आधार पर तीसरी सूची को तैयार किया गया है। इन दोनों सूचियों को क्रमश: 21 अगस्त, 2020 और 31 मई, 2021 को जारी किया गया था। पहली सूची के प्रमुख मदों में 155 एमएंम/39 सीएएल अल्ट्रा-लाइट होवित्जर, हल्के लड़ाकू विमान (एलसीडब्ल्यू) एमके- आईए - उन्नत स्वदेशी सामग्री, पारंपरिक पनडुब्बी और संचार उपग्रह जीसैट-7सी शामिल हैं।
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वहीं, दूसरी सूची के प्रमुख वस्तुओं अगली पीढ़ी का युद्धपोत, भूमि आधारित एमआरएसएएम हथियार प्रणाली, स्मार्ट एंटी-फील्ड हथियार प्रणाली (एसएएडब्ल्यू) एमके-I, लड़ाकू विमानों के लिए ऑनबोर्ड ऑक्सीजन जनरेशन सिस्टम (ओबीओजीएस) आधारित एकीकृत जीवन समर्थन प्रणाली और टैंक के लिए 1000 हॉर्सपावर (एचपी) इंजन (टी-72) शामिल हैं। तीसरी सूची में जटिल उपकरण और प्रणालियों सहित 100 से अधिक चीजें शामिल होंगी, जिनकी सूची तैयार की जा रही है और इन्हें अगले पांच वर्षों में फर्म ऑर्डर में रूपांतरित करने की संभावना है। तीसरी सूची में शामिल वस्तुओं के तहत अगले पांच वर्षों में उद्योग को 2,10,000 करोड़ रुपये से अधिक के ऑर्डर दिए जाने की संभावना है।
तीसरी सूची की अधिसूचना रक्षा विनिर्माण के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने की एक प्रमुख पहल है और घरेलू उद्योग में सरकार के इस बढ़ते विश्वास को दिखाता है कि वे सशस्त्र बलों की मांग को पूरा करने के लिए अंतरराष्ट्रीय मानकों के उपकरण का निर्माण और इसकी आपूर्ति कर सकते हैं।
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