आसान हुई कैलाश मानसरोवर की यात्रा, राजनाथ सिंह ने किया लिंक रोड का उद्घाटन

देश
किशोर जोशी
Updated May 08, 2020 | 15:14 IST

Kailash-Mansarovar Yatra 2020: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ( Rajnath Singh) ने आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कैलाश मानसरोवर के लिए लिंक रोड का उद्घाटन किया।

Rajnath Singh inaugurates 80 km long road curtailing Kailash-Mansarovar pilgrimage time
आसान हुई कैलाश मानसरोवर यात्रा, लिंक रोड का हुआ उद्घाटन 
मुख्य बातें
  • कैलाश मानसरोवर यात्रा श्रद्धालुओं के लिए पहले के मुकाबले हुई काफी सुगम
  • रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने आज लिंक मार्ग का उद्घाटन वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए किया
  • इस मार्ग के जरिए कैलाश मानसरोवर यात्रा में 5-6 दिन का बचेगा समय

नई दिल्ली: कैलाश मानसरोवर की यात्रा अब और आसान हो गई है। शुक्रवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) द्वारा  उत्तराखंड में बनाए गए धारचूला-लिपूलेख मार्ग का उद्घाटन किया। रक्षा मंत्री ने दिल्ली से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से इस मार्ग का उद्घाटन किया। बीआरओ ने 80 किलोमीटर की इस सड़क से पिथौरागढ़ जिले में धारचूला और लिपुलेख को जोड़ा है। इस मार्ग के खुलने से यात्रियों को अब 5-6 दिन तक चढ़ाई करने की जरूरत नहीं होगी।

कैसा है नया  रूट
यह सड़क तवाघाट से आगे घियाबागढ़ से निकलती है और लिपुलेख दर्रा, कैलाश-मानसरोवर के प्रवेश द्वार पर समाप्त हो जाती है। 80 किलोमीटर की इस सड़क में ऊंचाई 6,000 से 17,060 फीट तक बढ़ जाती है। इस परियोजना के पूरा होने पर अब कैलाश यात्रियों को ज्यादा चढ़ाई नहीं करनी होगी। वर्तमान में, कैलाश-मानसरोवर की यात्रा में सिक्किम या नेपाल की तरफ से जाने वाले रास्तों के माध्यम से लगभग दो से तीन सप्ताह लगते हैं। लिपुलेख मार्ग में ऊंचाई वाले इलाकों में 90 किलोमीटर का पैदल ट्रेक था और बुजुर्ग यात्रियों को यहां काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था।

राजनाथ ने की बीआरओ की प्रशंसा

 सिक्किम और नेपाल के दो अन्य दो सड़क मार्ग हैं। इसमें 20 प्रतिशत भारतीय और 80 प्रतिशत भूमि का हिस्सा चीन में आता है। घाटीबगढ़-लिपुलेख सड़क के खुलने के साथ, यह अनुपात उलट गया है। अब मानसरोवर के तीर्थयात्री भारतीय सड़कों पर 84 प्रतिशत यात्रा करेंगे जबकि चीन में केवल 16 प्रतिशत पैदल यात्रा करेंगे। 

सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के इंजीनियरों और कर्मियों को बधाई देते हुए राजनाथ सिंह ने कहा कि उनके समर्पण ने इस उपलब्धि को संभव बनाया। रक्षा मंत्री ने इस सड़क के निर्माण के दौरान हुए जानमाल के नुकसान पर शोक व्यक्त किया। उन्होंने बीआरओ कर्मियों के योगदान की प्रशंसा की जो दूरस्थ इलाकों में तैनात हैं और अपने परिवारों से दूर हैं। पिथौरागढ़ से चीन और नेपाल बॉर्डर लगता है और रणनीतिक रूप से भी यह सड़क भारत के लिए अहम है। यहां आर्मी के अलावा आईटीबीपी और एसएसबी भी तैनात है। 


 

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