नई दिल्ली : रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह शुक्रवार को लद्दाख पहुंचे। यहां से सेना के शौर्य एवं पराक्रम को दिखाने वाली तस्वीरों ने देशवासियों का सीना गर्व से चौड़ा कर दिया। खुद राजनाथ सिंह ने सैनिकों का हौसला बढ़ाने के लिए एक बंदूक उठाकर निशाना साधा। लेह के स्ताकना में अग्रिम मोर्चे पर सेना, वायु सेना के जवानों ने अपने जुझारूपन और जांबाजी के करतब से सबका दिल जीत लिया। वायु सेना के जवानों ने पैरा ड्रापिंग को तो सेना के टी-90 टैंकों ने युद्ध जैसा माहौल खड़ा कर दिया।
सीडीएस, सेना प्रभुख भी रहे मौजूद
इस मौके पर चीफ ऑफ डिफेंस स्टॉफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत और सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवाणे भी मौजूद रहे। रक्षा मंत्री वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के जमीनी हालात का जायजा लेने लद्दाख पहुंचे हैं। शनिवार को वह श्रीनगर जाएंगे। इससे पहले लेह के लिए रवाना होने से पहले राजनाथ सिंह ने अपने एक ट्वीट में कहा, 'जम्मू-कश्मीर और लद्दाख की दो दिनों की यात्रा पर रवाना हो रहा हूं। सीमा के हालात की समीक्षा के लिए मैं सेना के अग्रिम मोर्चे का दौरा और यहां तैनात सैनिकों एवं अधिकारियों के साथ बातचीत करूंगा।'
गलवान घाटी की हिंसा के बाद भारत-चीन के रिश्ते में तनाव
गत 15 जून की रात गलवान घाटी में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुए खूनी संघर्ष में भारत के 2 जवान शहीद हो गए। इस घटना के बाद लद्दाख सहित वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर दोनों देशों के बीच तनाव काफी बढ़ गया। इस टकराव में चीन की तरफ के सैनिक भी हताहत हुए। हालांकि चीन ने इस बारे में कोई आधिकारिक आंकड़ा जारी नहीं किया।
तनाव के लिए भारत ने चीन को बताया जिम्मेदार
गलवान घाटी की घटना के लिए भारत ने सीधे तौर पर चीन की गतिविधियों को जिम्मेदार ठहराया। विदेश मंत्रालय ने कहा कि एलएसी पर चीन एकतरफा यथास्थिति में बदलाव में करने की कोशिश कर रहा था। भारत ने चीन से स्पष्ट कहा कि वह अपनी एकता एवं अखंडता के साथ कोई समझौता नहीं करेगा। वह हर कीमत अपनी एक-एक इंच जमीन की सुरक्षा करेगा।
पीएम मोदी ने तीन जुलाई को किया दौरा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गत 3 जुलाई को लेह का दौरा किया। यहां उन्होंने अग्रिम मोर्चे पर तैनात जवानों से मुलाकात की। यहां सैनिकों को संबोधित करते हुए पीएम ने कहा कि दुनिया में विस्तारवादी ताकतों का खात्म हो गया है। यह नीति अब नहीं चलने वाली है। पीएम मोदी का इशारा चीन की तरफ था। सीमा पर सैनिकों के जमावड़े के बाद तनाव कम करने के लिए भारत और चीन दोनों की तरफ से कोशिशें हुई हैं। दोनों देशों के बीच कमांडर स्तर पर कई दफे की बातचीत के बाद सैनिकों के पूर्व स्थिति में लौटने पर सहमति बनी है।
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