तो क्या 'गोल पोस्ट' बदल रहे राकेश टिकैत, अब फसलों का उत्पादन कम करने की दी चेतावनी  

Farmers Protests : टाइम्स नाउ के साथ खास बातचीत में राकेश टिकैत ने कहा, 'हमारी किसानों बात हुई है। गांव के लोगों का कहना है कि जब भी किसान ने उत्पादन बढ़ाया है तो उसे नुकसान हुआ है।'

Rakesh Tikait warns reducing production of grains if demands not met
राकेश टिकैत की चेतावनी।  |  तस्वीर साभार: ANI
मुख्य बातें
  • किसान नेता राकेश टिकैत की चेतावनी, बोले-अब फसल कम उगाएंगे किसान
  • गत छह महीने से तीन नए कृषि कानूनों को वापस लिए जाने की मांग पर अड़े हैं किसान
  • राकेश टिकैत ने कहा कि फसलों का ज्यादा उत्पादन होने पर किसानों को कम दाम मिलता है

नई दिल्ली : तीन नए कृषि कानूनों को वास लिए जाने की मांग पर अड़े किसान नेता राकेश टिकैत ने सरकार को चेतावनी दी है। किसान नेता ने मंगलवार को कहा कि नए कानून अगर वापस नहीं लिए गए तो किसान फसलों का उत्पादन करना कम करेंगे। राकेश टिकैत ने कहा कि किसान जब फसलों एवं अनाज का उत्पादन कम करते हैं तो उन्हें फसलों की ज्यादा कीमत मिलती है और जब उत्पादन ज्यादा होता है तो उन्हें लाभ कम मिलता है। किसान नेता ने कहा कि पिछले छह महीनों से किसान आंदोलन कर रहे हैं लेकिन सरकार उनकी मांग पर कोई ध्यान नहीं दे रही है।  

'किसान फसलों का उत्पादन कम करने की सोच रहे'
टाइम्स नाउ के साथ खास बातचीत में उन्होंने कहा, 'हमारी किसानों बात हुई है। गांव के लोगों का कहना है कि जब भी किसान ने उत्पादन बढ़ाया है तो उसे नुकसान हुआ है। फसल का उत्पादन करने के लिए किसान डीजल, दवाइयां और श्रम लगाता है और जब उत्पादन ज्यादा होता है तो उसे सही कीमत नहीं मिलती है। किसानों का लगता है कि कम उत्पादन करने पर उन्हें ज्यादा फायदा मिलेगा। यह सोचकर इस बार वह फसलों का कम उत्पादन करने की सोच रहा है।' 

'देश में कोई सरकार नहीं'
टिकैत ने कहा कि पिछले छह महीने से किसान आंदोलन कर रहे हैं लेकिन लगता है कि देश में कोई सरकार ही नहीं है। उन्होंने कहा कि साल 2007 में देश बाहर से गेहूं का आयात किया जा रहा था, उस समय तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने टिकैत जी के साथ बैठक की और उनसे गेहूं का उत्पादन बढ़ाने का फॉर्मूला पूछा था। इस बात के आज 17 साल हो गए, तब से देश ने बाहर से गेहूं नहीं खरीदा।  

टिकैत बोले-विपक्ष ने समर्थन नहीं किया
इस सवाल पर कि किसान आंदोलन का समर्थन करने वाले पंजाब और कांग्रेस शासित राज्य उनकी इस अपील का समर्थन करेंगे। इस पर किसान नेता ने कहा कि कांग्रेस सहित विपक्ष को संसद के अंदर किसानों की मांगों का समर्थन करना चाहिए था लेकिन उन्होंने नहीं किया। बता दें कि तीन नए कृषि कानूनों को वापस लिए जाने की मांग को लेकर किसान संगठन पिछले नवंबर माह से गाजीपुर, टिकरी और सिंधु बॉर्डर पर धरना देते आए हैं। हालांकि, कोरोना महामारी की वजह से उनका यह आंदोलन काफी कमजोर पड़ गया है।

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