नई दिल्ली। पांच अगस्त 2020 का हर किसी को इंतजार है, यह इंतजारी उन लोगों के लिए खास है जो किसी न किसी रूप में राम मंदिर आंदोलन से जुड़े रहे। आंदोलन से जुड़े रहे लोगों में से कुछ इस दुनिया में नहीं हैं। लेकिन जो लोग जिंदा हैं उनके लिए पांच अगस्त का दिन अविस्मरणीय रहेगा। जबलपुर की रहने वाली उर्मिला जिनकी उम्र 81 साल है उनमें से एक हैं। उर्मिला की प्रतिज्ञा के बारे में सुनेंगे तो आश्चर्य में पड़ जाएंगे कि क्या ऐसा हो सकता है।
28 साल से उपवास पर उर्मिला देवी
साल 1992 था, राम मंदिर का आंदोलन चरम पर था। उस वक्त उर्मिला की उर्म 53 साल की रही होगी। अयोध्या में आंदेलन के बारे में जो कुछ सुना उसके बाद उनका नजरिया बदला। उन्होंंने खुद से संकल्प किया कि वो अन्न का एक दाना भी तभी ग्रहण करेंगी जब अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण शुरू होगा। अपनी जिंदगी के तीन दशक उन्होने राम नाम में काट दिए कि किसी न किसी दिन अयोध्या में राम मंदिर जरूर बनेगा।
राम मंदिर बनने का लिया था संकल्प
6 दिसंबर 1992 से ही वो फलाहार पर है और रामनाम जपती रहती हैं। जबलपुर के विजय नगर में उनका ठिकाना है, वो कहती हैं कि ज्यादातर लोगों ने उन्हें समझाने की कोशिश की को व्रत तोड़ दें। वो जो कुछ कर रही हैं वो सिर्फ जिद है। लेकिन उर्मिला देवी का इरादा दृढ़ था। जिस दिन मंदिर के पक्ष में फैसला आया उन्होंने फैसला सुनाने वाले जजों और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र भेजकर बधाई दी थी।
अयोध्या में बसने का इरादा
उर्मिला उस दिन दिनभर घर में राम नाम का जाप करेंगी। वे चाहती हैं कि अयोध्या जाकर राम लला के दर्शन करने के बाद ही अन्न ग्रहण करें। परिवारल उपवास तोड़ने का आग्रह कर रहा है लेकिन वो कहती है कि संकल्प पूरा होने के बाद ही उपवास खत्म होगा। इसके साथ ही उनकी इच्छा है कि अयोध्या में थोड़ी सी जगह मिल जाए और वो अपनी शेष जिंदगी बिता सकें।
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