नई दिल्ली : केंद्रीय मंत्री व लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) नेता राम विलास पासवान अब हमारे बीच नहीं हैं। 74 साल की उम्र में उनका निधन हो गया। वह पिछले कुछ समय से बीमार थे और अस्पताल में उनका उपचार चल रहा था। इसी दौरान उनकी हार्ट सर्जरी भी हुई, लेकिन अंतत: उन्हें नहीं बचाया जा सका। पासवान एक मंझे हुए राजनेता थे और इसलि उन्हें राजनीति का सबसे बड़ा 'मौसम वैज्ञानिक' भी कहा जाता था।
'सियासत के मौसम विज्ञानी' की यह उपाधि पासवान को लालू प्रसाद ने दी थी, जो कभी उनके मित्र तो कभी विरोधी भी रहे। उन्हें ऐसा इसलिए कहा जाता था, क्योंकि वह राजनीति में बदलाव को सबसे पहले और सबसे अच्छी तरह भांप लेते थे। निश्चित रूप से इसके पीछे उनका लंबा राजनीतिक अनुभव ही था। करीब पांच दशक तक सांसद व विधायक रहने के अतिरिक्त वह 1996 से केंद्र की सभी सरकारों में मंत्री रहे।
वर्ष 2019 के आम चुनाव से ठीक पहले राम विलास पासवान और उनके बेटे चिराग पासवान ने जिस तरह के बयान दिए, उससे यह कयास लगाया जाने लगा कि वह एक बार फिर पाला बदल सकते हैं। सीट बंटवारे को लेकर बीजेपी के साथ खींचतान के बीच ऐसे संकेत मिल रहे थे। हालांकि वह बीजेपी के साथ बने रहे और 6 सीटों को पार्टी के खाते में लेकर खुद राज्यसभा सदस्य और फिर केंद्र में मंत्री बने।
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