नई दिल्ली: क्या दिल्ली के बॉर्डर पर एक साल तक किसान आंदोलन की अगुवाई कर रहे किसान नेताओं को अब किसानों से कोई लेना देना नहीं है। अब इन किसान नेताओं का मकसद सिर्फ और सिर्फ सियासत करना है। 15 दिसंबर को राकेश टिकैत जब दिल्ली की सीमा से आंदोलन खत्म कर घर लौट रहे थे तब टिकैत का एक पोस्टर जारी हुआ था। इस पोस्टर में हार गया अभिमान, जीत गया किसान लिखा हुआ था, लेकिन इस पोस्टर में राकेश टिकैत के साथ जयंत चौधरी और अखिलेश यादव की तस्वीर थी जिस पर राकेश टिकैत ने कहा था कि वो राजनीति नहीं करेंगे और कोई भी उनकी इजाजत के बिना पोस्टर का इस्तेमाल न करे।
अब सवाल है कि राकेश टिकैत हैं कहां अगर वो चुनाव में बिजी नहीं हैं तो फिर किसानों के बीच क्यों नहीं हैं। पांच दिन से किसान ठंड में रेल पटरी पर बैठे हैं राकेश टिकैत और चढ़ूनी का एक बयान तो छोड़िए ट्वीट तक सामने नहीं आया है। चढूनी ने तो अपनी राजनीतिक पार्टी का ऐलान तक कर लिया है अब उन्हें पंजाब में चुनाव लड़ना है। पंजाब में चुनाव हैं तो सीएम चन्नी किसानों की नाराजगी को समझ रहे हैं। इसीलिए तो आज चन्नी के 2 लाख तक किसानों का कर्ज माफ करने का चुनावी ऐलान किया लेकिन सवाल है कि क्या पांच साल पहले किए गए वादे कितने पूरे हुए। ये भी आपको बताएंगे।
किसानों का कहना है कि पंजाब सरकार ने तमाम वादे किए थे, कर्ज माफी की बात की थी। गन्ने का बकाया देने का वादा किया था। लोगों के मकान बनवाने का वादा किया था। पेंशन देने थे। इसलिए हम आज धरने पर बैठे हैं। रोजगार देना इस सरकार का मुख्य काम था। सरकार ने नारा भी दिया था कि घर-घर नौजवानों को नौकरी देंगे और जिन्हें नौकरी नहीं मिलती उन्हें बेरोजगारी भत्ता देंगे। वादे किए हुए बहुत समय हो गया पर एक भी वादा पूरा नहीं हुआ। नशे का कारोबार बहुत बढ़ गया है। पंजाब सरकार बिल्कुल फेल हुई है।
धरना कर रहे किसानों का कहना है, 'जहां तक कर्ज का सवाल है, जो बिना मौसम की बरसात हुई है, जिसमें बहुत नुकसान हुआ। नशे का मुद्दा भी बहुत बड़ा है, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, पेंशन ये तमाम मसले हैं जिन्हें लेकर ये हमारा रेल रोको आंदोलन चल रहा है। और जबतक सरकार हमारी बात नहीं सुनती तब तक हम ये आंदोलन चलाएंगे।'
पहले आपको दिखाते हैं कि किसानों की मांग क्या थी और पंजाब की कांग्रेस सरकार ने क्या किया है
आत्महत्या करने वाले किसानों के परिवारों को 3 लाख मुआवजा की मांग पर सरकार ने जिला कृषि अधिकारी को आदेश दिए हैं तो वहीं गन्ना किसानों का बकाया भुगतान और ठेकेदारी कानून वापस करने की मांग पर सरकार का रूख साफ नहीं है।
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