भारत सहित पूरे विश्व में पर्यावरण को लेकर चिंताएं लगातार बढ़ती जा रही हैं। बढ़ते प्रदूषण के कारण पर्यावरण बचाने को लेकर अंतराष्ट्रीय स्तर पर भी कई बार चेतावनी जारी की जा चुकी हैं लेकिन नतीजा अभी तक ढाक के तीन पात वाला ही रहा है। ऐसे में अब राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ पर्यावरण बचाने को लेकर आगे आया है। इस विषय पर संघ की गंभीरता को इससे भी समझा जा सकता है कि इसके लिए अलग से एक विभाग भी संघ ने बना दिया है।
संघ की योजना है कि पर्यावरण जैसे विषय की गंभीरता को पूरे विश्व के सामने रखा जाये और एक ऐसा एजेंडा बनाया जाये जिससे पूरे ब्रह्मांड का मंगल हो इसलिए संघ ने इस पूरे अभियान का नाम 'सुमंगलम' रखा है। इस अभियान का व्यापक तौर पर पूरे देश और दुनिया में असर हो इसके लिए इसमें पर्यावरण से संबंधित संघ के आनुषांगिक संगठनों के साथ-साथ भारत सरकार के संबंधित मंत्रालय भी इसमें सहभागिता कर रहे हैं। मोदी सरकार के 5 केन्द्रीय मंत्री इस अभियान से प्रत्यक्ष तौर पर जुड़ेंगे।
संघ और सरकार के तालमेल से चलाये जाने वाले इस अभियान से आम किसान और आम आदमी को जोड़ने पर ज़ोर रहेगा इसलिए स्वयंसेवकों के साथ साथ किसान, छात्रों को भी इस अभियान के मद्देनज़र ट्रेंड किया जायेगा। इसके साथ ही इस अभियान के तहत ज़ोर रहेगा पर्यावरण के संरक्षण के लिए भारतीय दृष्टिकोण पर लेकिन इसके साथ ही दूसरी तकनीकियों पर भी चर्चा होगी। पर्यावरण के लिए भारतीय चिंतन में पंचमहाभूत पर ख़ासा ज़ोर दिया जाता है इसलिए पर्यावरण के प्रति भारतीय दृष्टि और जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न वैश्विक संकटों से निपटने के लिए संघ ने भारत सहित पूरी दुनिया में जागरूकता के लिए एक चर्चा छेड़ने की योजना पर काम भी शुरू कर दिया है।
इस चर्चा के स्वरूप को व्यापक रूप देने के लिए पहले पंचतत्वों पर चर्चा करने की योजना बनाई गई है। क्योंकि पंचतत्वों को समझे बिना पर्यावरण को नहीं समझा जा सकता है इसलिए ये पंचतत्त्व जिनमें आकाश, वायु, अग्नि, जल और भूमि हैं। संघ का मानना है कि इन पंचतत्वों में पैदा हुए असंतुलन से काफ़ी विषम परिस्थितियां संसार के सामने आई हैं जिनके फलस्वरूप पृथ्वी का बैलेंस बिगड़ा है इसलिए इन सभी समस्याओं का भारतीय चिंतन की दृष्टि से आज के समय के हिसाब से समाधान ढूंढने की चुनौती है।
गंभीर चुनौतियों से पार पाने के लिए भारतीय चिंतन इसमें अग्रणी भूमिका निभा सकता है इसके लिए सुमंगलम अभियान के तहत पंचतत्वों पर एक-एक अंतरराष्ट्रीय सेमिनार आयोजित करने का निर्णय संघ ने लिया है। इसके साथ ही क्षेत्रीय स्तरों पर पूरे देश में भी सेमिनार किये जायेंगे और फिर इन सभी सेमिनारों के जो भी निष्कर्ष और अनुभव आयेंगे उन सभी के साथ सभी को मिलाकर एक बड़ा सेमिनार दिल्ली में मई 2023 में विशेषज्ञों के साथ किया जायेगा।
इस पूरे अभियान में दीनदयाल शोध संस्थान को जल तत्व पर चर्चा की ज़िम्मेदारी सौंपी गई है इसी तरह से दूसरे सहयोगी संगठन बाक़ी तत्वों पर काम करने की योजना बना रहे हैं।
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