नई दिल्ली : सेना प्रमुख एमएम नरवणे की नेपाल यात्रा से पहले भारतीय खुफिया एजेंसी रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (RAW) के प्रमुख एक दिन के 'सरप्राइज' दौरे पर बुधवार को काठमांडू पहुंचे। भारत सरकार के अधिकारियों ने रॉ प्रमुख के इस दौरे की न तो पुष्टि की है और न ही इससे इंकार किया है। हालांकि, नेपाली मीडिया ने कहा है कि गोयल के नेतृत्व में नौ सदस्यों का एक दल राजधानी काठमांडू पहुंचा। हाल के दिनों में भारत-नेपाल के संबंधों में आई तल्खी के बीच रॉ प्रमुख का यह दौरा काफी अहम माना जा रहा है। सेना प्रमुख एमएम नरवणे अगले महीने नेपाल की यात्रा पर जाएंगे और उनसे पहले हुई रॉ प्रमुख की इस यात्रा के कई मायने निकाले जा रहे हैं।
संबंधों को सामान्य बनाने का प्रयास
टीओआई की रिपोर्ट के मुताबिक सेना प्रमुख की प्रस्तावित यात्रा को दोनों देशों के संबंधों में आए तनाव को कम करने की दिशा में पहले कदम के रूप में देखा जा रहा है। दोनों देश नहीं चाहते कि नक्शा विवाद और भारत-नेपाल सीमा पर हुईं अवांछित घटनाक्रम का असर उनके द्विपक्षीय रिश्तों पर पड़े। भारत और नेपाल के बीच सदियों से सांस्कृतिक, ऐतिहासिक एवं सैन्य संबंध हैं।
पीएम ओली ने रक्षा मंत्री पोखरेल को हटाया है
नेपाल की भारत से सीमा विवाद से जुड़े मुद्दों को सुलझाने के लिए विदेश सचिव स्तर के तंत्र को सक्रिय करने की मांग करता आया है जिस पर सेना प्रमुख की यात्रा के बाद भारत सरकार फैसला कर सकती है। नेपाली मीडिया में कहा गया है कि प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने रक्षा मंत्री ईश्वर पोखरेल को हटाकर भारत को एक सकारात्मक संदेश दिया है। पोखरेल को भारत विरोधी रुख के लिए जाना जाता है। हालांकि, सूत्रों का कहना है कि भारत सरकार नेपाल से इस तरह के अन्य कदमों को उम्मीद करती है ताकि सीमा विवाद पर बातचीत शुरू करने के लिए एक अनुकूल एवं उचित माहौल बन सके। नेपाल की ओर से नया राजनीतिक नक्शा जारी किए जाने पर भारत ने कड़ी प्रतिक्रया दी थी और कहा था बातचीत का माहौल बनाने की जिम्मेदारी नेपाल के कंधों पर है।
ओली और प्रचंड दोनों से मिले रॉ प्रमुख
रॉ प्रमुख के काठमांडू दौरे की पुष्टि नेपाल के अधिकारियों ने भी नहीं की है। बताया जाता है कि रॉ प्रमुख ने पीएम ओली और पीके दहल प्रचंड दोनों से बात की है। दहल पीएम ओली के धुर विरोधी हैं। कुछ दिनों पहले दोनों नेताओं के बीच कटुता काफी बढ़ गई थी। ऐसा माना जा रहा था कि नेपाल कम्यूनिस्ट पार्टी में टूट हो जाएगी। हालांकि, बताया जाता है कि चीन के दखल की वजह से दोनों नेता अपने रुख नरम रखने पर सहमत हो गए।
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