पटना: जनता दल यूनाइडेट (जदयू) ने पार्टी नेता आरसीपी सिंह को 'उनके और उनके परिवार के नाम पर 2013-2022 से रजिस्टर्ड अचल संपत्तियों में विसंगतियों' पर नोटिस जारी किया। पार्टी ने उनसे जल्द से जल्द जवाब दाखिल करने को कहा है। इस पर जदयू के सीनियर नेता उपेंद्र कुशवाहा से जब पूछा गया कि क्या आरसीपी सिंह को उनकी संपत्ति के मुद्दे और पार्टी के नोटिस के मद्देनजर जदयू से निष्कासित किया जाएगा? उन्होंने कहा कि क्या ऐसा लगता है कि वह अपनी गतिविधियों के चलते अभी भी पार्टी में हैं? उन्होंने खुद एक ऐसा रास्ता अपनाया है जहां उन्होंने मान लिया है कि वह अब पार्टी में नहीं हैं। उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि बात सबके सामने है। पार्टी को उनके बारे में कुछ जानकारी मिली है, प्रथम दृष्टया यह भ्रष्टाचार का मामला लगता है। पार्टी अब उनका पक्ष जानना चाहती है। आगे की कार्रवाई जरूरत के अनुसार की जाएगी। हम उनके जवाब का इंतजार कर रहे हैं।
गौर हो कि बिहार जदयू के अध्यक्ष उमेश कुशवाहा ने शनिवार को पार्टी नेता आरसीपी सिंह को उनके और उनके परिवार के नाम पर 2013 से 2022 तक रजिस्टर्ड अचल संपत्तियों में विसंगतियों के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया और जमीन खरीद के लिए आय का स्रोत बताने की मांग की। नालंदा में पार्टी के दो सदस्यों द्वारा पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के समक्ष आरसीपी सिंह के खिलाफ भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाने की शिकायत के बाद उन्हें नोटिस दिया गया। पार्टी ने आरसीपी सिंह से यह स्पष्ट करने को कहा है कि 58 प्लॉट्स की रजिस्ट्रियां उनके, उनकी बेटियों- सहरसा की एसपी लिपि सिंह और लता सिंह और परिवार के सदस्यों के नाम पर कैसे की गई हैं।
पार्टी ने बताया कि आरसीपी सिंह एक नौकरशाह के रूप में नीतीश कुमार से जुड़े थे और उन्होंने दो बार राज्यसभा सांसद, पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष, पार्टी के संगठनात्मक सचिव और केंद्र सरकार में केंद्रीय मंत्री के रूप में कार्य किया है। उमेश कुशवाहा ने आरसीपी सिंह को नोटिस में कहा कि चूंकि हमारे नेता नीतीश कुमार भ्रष्टाचार नीति के लिए जीरो टॉलरेंस पर काम करते हैं और उन्होंने इससे कभी समझौता नहीं किया है और अपने लंबे सार्वजनिक जीवन के बावजूद संपत्ति नहीं खरीदी है, पार्टी भी आपसे यही उम्मीद कर रही है। इसलिए, आपको बिंदुवार जवाब देने के लिए कहा गया है।
डिटेल के अनुसार 12 प्लॉट इस्लामपुर प्रखंड के सैफाबाद मोजा में और 12 प्लॉट केवली प्रखंड में रजिस्टर्ड हैं। इन दोनों जमीनों को क्रमश: 2013 और 2016 में लिपि सिंह और लता सिंह के नाम पर रजिस्ट्री कराई गई है। जदयू के पत्र के अनुसार, शेरपुर मालती मौजा में 33 और मोहम्मदपुर में एक प्लॉट आरसीपी सिंह के परिवार के सदस्यों के नाम पर रजिस्टर्ड थे।
पार्टी के दस्तावेजों के मुताबिक नालंदा के नीमचक बथानी के रहने वाले नरेश प्रसाद सिंह ने 28 अप्रैल 2014 को धर्मेंद्र कुमार नाम के व्यक्ति को जमीन दान में दी थी। वही जमीन धर्मेंद्र कुमार ने आगे लिपि सिंह और लता सिंह को दान में दी थी। पत्र में आगे कहा गया है कि बिंदेश्वरी साव नाम के व्यक्ति ने 4 और 15 सितंबर को दो प्लॉट खरीदे और उन्हें लिपि सिंह और लता सिंह को बेच दिया। एक जमीन रजिस्ट्री के 6 दिनों के भीतर और दूसरी को 8 महीने बाद बेच दिया गया था।
गौर हो कि केंद्रीय कैबिनेट से इस्तीफा देने के बाद आरसीपी सिंह ने बिहार के कई हिस्सों में जनसभाएं कीं। बैठक के दौरान, उनके कुछ समर्थकों ने उन्हें बिहार के भावी मुख्यमंत्री के रूप में पेश किया, जिससे पार्टी के शीर्ष नेतृत्व असहज हो गए।
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