शिवसेना के बागी विधायक दीपक केसरकर ने कहा है कि एक से दो विधायक और आएंगे और हमारे साथ जुड़ेंगे। उनके समर्थन और अन्य निर्दलीय उम्मीदवारों के साथ हमारी ताकत बढ़कर 51 हो जाएगी। हम 3-4 दिनों में एक निर्णय पर पहुंचेंगे और उसके बाद हम सीधे महाराष्ट्र वापस जाएंगे। शिंदे खेमे के विधायक किसी भी समय महाराष्ट्र विधानसभा में फ्लोर टेस्ट का सामना करने के लिए तैयार हैं, लेकिन पहली मान्यता एकनाथ शिंदे गुट को दी जानी चाहिए। हम महा विकास अघाडी (MVA) सरकार के साथ नहीं जाएंगे।
इस बीच रविवार को महाराष्ट्र के उच्च और तकनीकी शिक्षा मंत्री उदय सामंत गुवाहाटी में एकनाथ शिंदे गुट में शामिल हो गए। वह शिंदे खेमे में शामिल होने वाले 8वें मंत्री हैं।
वहीं महाराष्ट्र के मंत्री और शिवसेना नेता आदित्य ठाकरे ने कहा कि 20 मई को मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने एकनाथ शिंदे को फोन किया और कहा कि अगर वह सीएम बनना चाहते हैं तो बनें, लेकिन उस समय उन्होंने ड्रामा किया और रोने लगे। ठीक एक महीने बाद उन्होंने विद्रोह कर दिया। लेकिन वे (शिंदे गुट) ऐसा करने में सक्षम नहीं हैं, यह विद्रोह नहीं है, यह अलगाववाद है। उन्होंने यह सब करने के लिए सीएम उद्धव ठाकरे की तबीयत का नाजायज फायदा उठाया।
सुप्रीम कोर्ट पहुंची लड़ाई
महाराष्ट्र में मचे सियासी घमासान के बीच शिंदे गुट सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। गुट की मांग है कि डिप्टी स्पीकर को विधायकों के खिलाफ अयोग्यता की कार्रवाई से रोका जाए। साथ ही अजय चौधरी के विधायक दल का नेता बनाए जाने को भी चुनौती दी गई है। सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर कल सुनवाई करेगा। याचिका में लिखा गया है कि उपाध्यक्ष ने सिर्फ 48 घंटे का वक़्त दिया जबकि नोटिस का जवाब देने के लिए कम से कम सात दिन का वक्ता दिया जाता है साथ ही जिन ग्राउंड्स पर अयोग्यता का नोटिस दिया गया है उसे भी चैलेंज करेंगे। विधायक दल के नेता के रूप में एकनाथ शिंदे को अयोग्य करार दिए जाने वाले फैसले पर भी बागी विधायकों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। याचिका में चीफ व्हिप के रूप में सुनील प्रभु की नियुक्ति को भी चुनौती दी गई है।
बागी विधायक दीपक केसरकर ने कहा- हमने शिवसेना नहीं छोड़ी, हमारे पास 2/3 बहुमत
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